
कर्नाटक के अयोग्य घोषित किए गए विधायक एएच विश्वनाथ ने जेडीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से माफी मांगी है. विश्वनाथ ने कहा, 'मैं जेडीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा से माफी मांगता हूं. उन्होंने मुझको विधायक के साथ ही पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनने का अवसर दिया. देवगौड़ा ने मुझ पर बहुत मेहरबानी दिखाई. हालांकि मैंने कई मौकों पर खुद को उपेक्षित महसूस किया. लिहाजा मैं विधायक और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.'
विश्वनाथ ने कहा, 'हमको अयोग्य घोषित कर दिया गया. राज्य की मौजूदा सरकार कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के गिरने के लिए जिम्मेदार नहीं है. इसके लिए गठबंधन सरकार के दिग्गज नेता ही खुद जिम्मेदार हैं.
बहरहाल बता दें कि कर्नाटक के 14 अयोग्य बागी विधायक अब सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं. इन 14 बागी विधायकों को कर्नाटक विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर केआर रमेश ने अयोग्य घोषित कर दिया था.
कांग्रेस के 11, जेडीएस के तीन विधायकों ने अपनी पार्टी से बगावत करते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. यही कारण बना कि एचडी कुमारस्वामी को अपनी सरकार गंवानी पड़ी. तत्कालीन स्पीकर रमेश कुमार ने काफी लंबे समय के बाद पहले तीन और बाद में बाकी सभी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया था.
ये सभी विधायक इस सरकार के कार्यकाल यानी 2023 तक राज्य में कोई चुनाव या उपचुनाव नहीं लड़ सकते हैं. यही कारण है कि बागी विधायकों में इस फैसले को लेकर इतनी हलचल मची है.
कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार द्वारा अयोग्य घोषित किए जाने के बाद सभी 14 विधायकों ने निर्णय के खिलाफ शीर्ष न्यायालय जाने का फैसला किया था. अपनी पार्टियों द्वारा व्हिप जारी किए जाने के बावजूद ये विधायक 23 जुलाई को सदन में उपस्थित नहीं हुए थे. इसके बाद कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार गिर गई.
कर्नाटक विधानसभा में येदियुरप्पा सरकार के विश्वास मत से ठीक एक दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष ने कार्रवाई करते हुए कांग्रेस के 11 और जनता दल-सेकुलर (JDS) के तीन विधायकों को अयोग्य करार दिया था.
विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय से नाराज सभी 14 विधायकों ने इस बाबत शीर्ष कोर्ट जाने का फैसला किया था. बागी विधायकों ने कहा था कि वह अयोग्य करार दिए जाने को शीर्ष अदालत में चुनौती देंगे क्योंकि कांग्रेस और जद-(एस) द्वारा 23 जुलाई को सत्र में भाग लेने के लिए उन्हें एक व्हिप जारी करने से पहले ही उनकी संयुक्त याचिकाओं पर 11 जुलाई को न्यायालय ने उनके इस्तीफे स्वीकार करने के निर्देश दिए थे.