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बंगलुरु में मेट्रो स्टेशन पर हिंदी साइन बोर्ड को रक्षणा संगठन ने मिटाया

नम्मा स्टेशन के अलावा भी बंगलुरु के कई अन्य स्टेशनों पर भी इसी तरह ही कर्नाटक रक्षणा वैदिक संगठन के कार्यकर्ताओं ने पोस्टर पर हिंदी में लिखे नाम को मिटा दिया है. इसके अलावा साथ ही साइन बोर्ड पर हिंदी में लिखा नाम काले रंग से पोत कर छुपा दिया.

कर्नाटक में हिंदी पर विवाद कर्नाटक में हिंदी पर विवाद
रोहिणी स्‍वामी
  • बंगलुरु,
  • 20 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 11:12 AM IST

कर्नाटक में इन दिनों का अलग झंडे की मांग चरम पर है, लेकिन इसके बीच हिंदी भाषा के प्रयोग के खिलाफ प्रदर्शन फिर तेज हो गया है. कर्नाटक रक्षणा संगठन के कुछ सदस्यों ने बंगलुरु मेट्रो स्टेशन पर साइन बोर्ड पर हिंदी में लिखे निर्देशों को हटा दिया. बंगलुरु के नम्मा मेट्रो स्टेशन पर हिंदी साइन बोर्ड पर पेंट कर दिया गया.

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नम्मा स्टेशन के अलावा भी बंगलुरु के कई अन्य स्टेशनों पर भी इसी तरह ही कर्नाटक रक्षणा वैदिक संगठन के कार्यकर्ताओं ने पोस्टर पर हिंदी में लिखे नाम को मिटा दिया है. इसके अलावा साथ ही साइन बोर्ड पर हिंदी में लिखा नाम काले रंग से पोत कर छुपा दिया. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर बैठक भी बुलाई थी, इस मुद्दे पर कई पार्टियों ने समर्थन भी किया था.

गौरतलब है कि कर्नाटक में कांग्रेस की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने प्रदेश के लिए अलग झंडे की मांग करते हुए एक नौ सदस्यीय समिति का गठन किया है. इससे पहले 2012 में भी प्रदेश में इस तरह की मांग उठी थी, लेकिन तत्कालीन बीजेपी सरकार ने यह कहते हुए इसका पुरज़ोर विरोध किया था कि यह कदम 'देश की एकता और अखंडता' के खिलाफ है.

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अब कर्नाटक में 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस की कोशिश है कि ध्वज के बहाने कन्नड़ अस्मिता को हवा दी जाए. यदि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया अपनी मांग मनवाने में कामयाब रहे तो कर्नाटक आधिकारिक तौर पर अपना अलग ध्वज रखने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा. अभी तक संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू कश्मीर को ही ये विशेष दर्जा हासिल है कि उसके पास खुद का ध्वज है.

 

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