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सुलझ नहीं पा रहे कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस के पेंच

 कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मैराथन बैठकों के बाद भी कांग्रेस कोटे से मंत्रियों के नाम तय नहीं हो पाए. कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की कांग्रेस नेताओं से दिल्ली में मुलाकात भी बेनतीजा रही.

राहुल गांधी के साथ एच.डी. कुमारस्वामी (File) राहुल गांधी के साथ एच.डी. कुमारस्वामी (File)
कुमार विक्रांत/खुशदीप सहगल/मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2018,
  • अपडेटेड 8:46 PM IST

एचडी कुमारस्वामी के शपथ लेने के पांच दिन बाद भी कर्नाटक मंत्रिमंडल की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है. जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) और कांग्रेस के बीच बड़े विभागों के बंटवारे को लेकर पेंच उलझा हुआ है. कांग्रेस के अंदर भी मंत्री पद पाने को घमासान मचा है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मैराथन बैठकों के बाद भी कांग्रेस कोटे से मंत्रियों के नाम तय नहीं हो पाए. कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की कांग्रेस नेताओं से दिल्ली में मुलाकात भी बेनतीजा रही. कर्नाटक में मंत्रिमंडल की गुत्थी अभी सुलझनी है. इस बीच राहुल गांधी को अपनी मां सोनिया गांधी के मेडिकल चेकअप के लिए विदेश रवाना होना पड़ा है. 

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कुमारस्वामी चाहते हैं कि मंत्रिमंडल के सदस्यों को अब बिना किसी विलंब तत्काल शपथ दिलाई जाए. दूसरी तरफ कांग्रेस मुश्किलों को देखते हुए थोड़ा और वक़्त चाहती है. एक फार्मूला ये भी है कि जेडीएस के सभी मंत्रियों के साथ कांग्रेस के आधा दर्जन मंत्री भी अभी शपथ लें. फिर बाद में कांग्रेस के कोटे के अन्य मंत्री शपथ ग्रहण करें. इस बीच के समय में कांग्रेस अपने कुछ विधायकों को समझा बुझाकर मंत्री पद की मांग छोड़ने के लिए मना लें.

मंत्रिमंडल के मुद्दे के अलावा कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस के बीच और भी ऐसा बहुत कुछ है जो पटरी पर गठबंधन की गाड़ी के रफ्तार पकड़ने में रुकावट डाल रहा है. कुमारस्वामी ने अभी सदन में बहुमत भी हासिल नहीं किया था कि उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता जी परमेश्वर ने बयान दिया था कि अभी ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है कि कुमारस्वामी ही 5 साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे. 

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वहीं मोदी विरोध के नाम पर पूरे 5 साल सरकार चलाने का दंभ भरने वाले राज्य के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कांग्रेस पर ये कहते हुए निशाना साधा कि वो कांग्रेस की कृपा पर निर्भर हैं. दूसरे शब्दों में गठबंधन की मजबूरी के चलते हाथ बंधे होने का इशारा दे रहे हैं. कुमारस्वामी सीएम तो बन गए हैं लेकिन कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं. कभी बेंगलुरू तो कभी दिल्ली, दोनों जगह बैठकों के दौर जारी है लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकल रहा.

सूत्रों के मुताबिक जो पेंच सुलझ नहीं पा रहे, उनमें से अहम हैं-

- वित्त, बिजली, पीडब्लूडी, स्वास्थ्य, आबकारी, खनन जैसे कमाऊं विभागों को लेकर दोनों पार्टियों में खींचतान

- कुमारस्वामी वित्त और गृह विभाग चाहते हैं.

- कांग्रेस नेता डी के शिवकुमार नाराज़ बताए जाते हैं. वे बिजली मंत्रालय और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष का पद चाहते हैं.

- मल्लिकार्जुन खड़गे अपने बेटे प्रियंक खड़गे के लिए मलाईदार विभाग चाहते हैं.

- सिद्धारमैया कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं लेकिन अपने बेटे यतीश को कैबिनेट मंत्री बनाना चाहते हैं.

- समझौते के तहत कांग्रेस के 22 और JDS के 12 मंत्री बनने हैं

बीजेपी नेता येदियुरप्पा के इस्तीफे के तुरंत बाद जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार बनी थी. लेकिन मलाईदार विभागों के लिए चल रही खींचतान ने सरकार के कामकाज पर ब्रेक लगा दिया है. कर्नाटक को कुमारस्वामी के तौर पर सीएम का चेहरा तो मिल गया लेकिन मुकम्मल सरकार की तस्वीर कब तक साफ़ होगी और राज्य में कब कामकाज सुचारू ढंग से शुरू हो पाएगा, ये यक्ष प्रश्न बना हुआ है.

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