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कर्नाटक: रोहतगी के तर्कों पर सख्त हुए चीफ जस्टिस, कहा- आप बताएं क्या फैसला दें

बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट के आगे कई तर्क रखे, तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उनसे ही पूछ लिया कि आप बताएं हम क्या ऑर्डर पास करें.

चीफ जस्टिस ने कर्नाटक मामले में दिखाई सख्ती चीफ जस्टिस ने कर्नाटक मामले में दिखाई सख्ती
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

कर्नाटक के राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को तीखी बहस हुई. बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट के आगे कई तर्क रखे, तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उनसे ही पूछ लिया कि आप बताएं हम क्या ऑर्डर पास करें. अदालत में जब सुनवाई शुरू हुई तो मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर विधायकों के इस्तीफे को रोक नहीं सकते हैं, ऐसे में कोर्ट उन्हें आदेश जारी करे.

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दरअसल, सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने तर्क रखा कि विधायक कोई ब्यूरोक्रेट या कोई नौकरशाह नहीं हैं, जो इस्तीफा देने के लिए उन्हें कोई कारण बताना पड़े. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर हम आपके तर्क को मानें, तो क्या हम स्पीकर को कोई आदेश दे सकते हैं? या फिर आप बताइए कि हम क्या ऑर्डर पास करें.

जब चीफ जस्टिस ने ये पूछा तो मुकुल रोहतगी ने जवाब दिया कि आप स्पीकर को कह सकते हैं कि एक तय समय सीमा में अयोग्य पर फैसला करें.

इससे पहले चीफ जस्टिस ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का काम स्पीकर के कामकाज में दखल देने का नहीं है. अदालत ये तय नहीं करेगी कि स्पीकर को किस तरह से काम करना चाहिए. हालांकि, इस मामले में जो संवैधानिक मसले हैं उस पर हम कुछ कह सकते हैं.

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बागी विधायकों की ओर से बात रख रहे मुकुल रोहतगी ने अदालत के सामने लगातार विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करने की बात कही. और कई तर्क भी रखे.

-    मुकुल रोहतगी ने केरल, गोवा, तमिलनाडु हाईकोर्ट के कुछ फैसलों के बारे में बताया. जिसमें स्पीकर को पहले इस्तीफे पर विचार करने को कहा गया है और अयोग्य के लिए फैसले को बाद में. उन्होंने कहा कि केरल की अदालत ने तो तुरंत इस्तीफा स्वीकार करने की बात कही थी.

-    सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आधी रात को कर्नाटक विधानसभा में अगले दिन फ्लोर टेस्ट करवाने का ऑर्डर जारी कर दिया गया था.

-    मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर व्यक्ति विधायक नहीं रहना चाहता है, तो कोई उन्हें फोर्स नहीं कर सकता है. विधायकों ने इस्तीफा देने का फैसला किया और वापस जनता के बीच जाने की ठानी है. अयोग्य करार दिया जाना इस इच्छा के खिलाफ होगा.

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