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कर्नाटक में सरकार बचाने को सोनिया एक्टिव, गुलाम नबी आजाद को बेंगलुरु भेजा

कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सरकार को बचाने की कवायद तेज हो गई है. कांग्रेस नेतृत्व ने इस मामले को सुलझाने के लिए अपने दो केंद्रीय नेताओं को बेंगलुरु भेजने का फैसला किया है.

कर्नाटक मसले में सोनिया गांधी एक्टिव कर्नाटक मसले में सोनिया गांधी एक्टिव
मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST

कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस सरकार पर छाए संकट के बादल अभी तक मंडरा रहे हैं. विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ने बागी विधायकों के इस्तीफे पर भले ही कोई निर्णय ना लिया हो लेकिन कांग्रेस आलाकमान अब इस मामले में एक्टिव हो गया है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद और बीके हरिप्रसाद को कर्नाटक भेजने का फैसला किया है.

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पार्टी की तरफ से इन दोनों नेताओं को कर्नाटक का मसला हल करने की जिम्मेदारी दी गई है. गुलाम नबी आजाद के बेंगलुरु आने पर केसी वेणुगोपाल का कहना है कि मैंने ही उन्हें बेंगलुरु बुलाया है, क्योंकि इस वक्त उनकी जरूरत यहां पर है.

बता दें कि इस्तीफा देने वाले 13 विधायकों में से 10 कांग्रेस पार्टी के हैं. ऐसे में राज्य की कांग्रेस-जेडीएस सरकार पर संकट है. 

गौरतलब है कि मंगलवार को कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी. जिसमें पार्टी के अधिकतर विधायक पहुंचे थे, सिर्फ वो 10 विधायक बैठक में नहीं पहुंचे जिन्होंने इस्तीफा देने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि पार्टी की तरफ से लगातार बयान दिया जा रहा है कि बागी विधायकों के रुख की वजह से सरकार पर कोई संकट नहीं आएगा.

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इस्तीफा देने वाले सभी विधायक अभी मुंबई में हैं और वह अपना इस्तीफा वापस लेने से इनकार कर रहे हैं. पार्टी ने उन्हें मनाने की काफी कोशिश की. एचडी कुमारस्वामी मंत्रिमंडल के 30 मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया था. ताकि नाराज विधायकों को मंत्री का पद दिया जा सके.

वहीं अगर विधानसभा स्पीकर के. रमेश कुमार की बात करें तो उन्होंने अभी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. स्पीकर का कहना है कि सभी विधायकों के इस्तीफे अभी तक उनके पास नहीं पहुंचे हैं, साथ ही साथ जब तक विधायक खुद उनके पास नहीं आते हैं वह इन्हें स्वीकार नहीं करेंगे.

दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी लगातार दावा कर रही है कि इस वक्त बहुमत उनके पास है इसलिए गवर्नर को उन्हें सरकार बनाने का न्योता देना चाहिए.

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