
भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर करतारपुर कॉरिडोर को लेकर आज अहम बैठक हुई. इसमें कॉरिडोर पर जारी गतिरोध दूर करने की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया. दोनों देशों के अफसरों के बीच द्विपक्षीय वार्ता संपन्न हो चुकी है. बैठक में भारत ने पाकिस्तान के सामने श्रद्धालुओं के लिए वीजा मुक्त यात्रा की मांग रखी है.
बैठक खत्म होने के बाद गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (आतंरिक सुरक्षा) एससीएल दास ने बताया, 'भारत ने डेरा बाबा नानक और आसपास के इलाकों में बाढ़ को लेकर चिंता को पाकिस्तान से अवगत कराया. तटवर्ती इलाकों में सड़क निर्माण का कार्य पाकिस्तान की तरफ से पूरा किया जा था.' वहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैसल ने कहा कि 80 फीसदी मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहमति बन गई. बाकी मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच एक और बैठक किए जाने की जरूरत है.
एससीएल दास ने बताया कि पाकिस्तान इस बात पर राजी हो गया है कि ननकाना साहिब में पवित्र दर्शन के लिए रोजाना 5000 श्रद्धालु जा सकते हैं. विशेष अवसर पर इनकी संख्या को घटाने बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है.
बता दें कि भारत की ओर प्रतिनिधिमंडल की एससीएल दास ने अगुवाई की जबकि बैठक में पाकिस्तान की ओर से 20 प्रतिनिधि शामिल रहे जिसका नेतृत्व मोहम्मद फैसल ने किया. हालांकि बारिश के चलते वाघा बार्डर पर बैठक देर से शुरू हुई. पहले सुबह 9.30 बजे बैठक का वक्त तय था.
बैठक शुरू होने से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैसल ने कहा कि पाकिस्तान करतापुर कॉरिडोर को संचालित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इस दिशा में सहयोग कर रहा है. गुरुद्वारा का निर्माण कार्य 70% से अधिक पूरा हो गया है. हम उम्मीद करते हैं कि आज चर्चा सही दिशा में होगी.
बहरहाल, खालिस्तान समर्थकों की बैठक में मौजूदगी को लेकर भी चर्चा होनी तय मानी जा रही है. क्योंकि पाकिस्तान ने बैठक से ठीक पहले जो चाल चली है. वो सबके सामने आ गया है.
करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने की तारीख तय है. इसे 22 नवंबर को होने वाली गुरु नानक की 550वीं जयंती से पहले शुरू होना है. लेकिन तैयारियां अभी भी बाकी हैं. हिन्दुस्तान ने अपने हिस्से के काम को तेजी से निपटाया है, लेकिन पाकिस्तान की बदनीयती कहिए कि वो लगातार पेच फंसा रहा है और ननकाना साहिब में पवित्र दर्शन की राह में रोड़े अटका रहा है.
उन्हीं बाधाओं को दूर करने के लिए दोनों देशों में आज फिर वाघा बॉर्डर पर बैठक हुई. लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान टालमटोल का रवैया अपनाता रहा है, वो समाधान की ओर जाता नहीं दिख रहा.
खालिस्तान समर्थकों पर नाराजगी
बैठक से ठीक पहले पाकिस्तान ने खालिस्तान समर्थक गोपाल सिंह चावला को वहां के सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से हटा दिया. ये कूटनीतिक दबाव का बड़ा असर है. पहले दौर की बातचीत में भारत ने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी. गोपाल सिंह चावला करतारपुर कॉरिडोर की वार्ता कमेटी का भी सदस्य था.
चावला के अलावा खालिस्तानी मूवमेंट को हवा देने वाले मनिंदर सिंह, तारा सिंह, बिशन सिंह और कुलजीत सिंह जैसे नाम थे. लेकिन बैठक से ठीक पहले जब पाकिस्तान ने सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की नई लिस्ट जारी की तो उसमें भी खालिस्तानी समर्थकों को तवज्जो दी गई. खालिस्तान समर्थक बिशन सिंह के बदले उसके भाई अमीर सिंह को कमेटी में डाल दिया गया है और वो भी खालिस्तान समर्थक बताया जा रहा है.
भारत की चिंताएं
खालिस्तानी समर्थकों की मौजूदगी के अलावा भारत की कई चिंताएं हैं. पहले दौर की बातचीत के दरम्यान भारत ने पुरजोर तरीके से तमाम मुद्दों को उठाया था. भारत की मांग रही है कि करतारपुर में एक दिन में 5000 श्रद्धालुओं को दर्शन का मौका मिले. लेकिन पाकिस्तान महज 700 श्रद्धालुओं के दर्शन पर ही अड़ा है. भारत की मांग है कि करतापुर कॉरिडोर साल भर खुले.
पाकिस्तान इसके लिए भी राजी नहीं है. हिन्दुस्तान चाहता है कि श्रद्धालुओं का कोई वीजा या शुल्क ना लगे, पड़ोसी मुल्क इससे भी सहमत नहीं. भारत चाहता है कि प्रवासी भारतीयों को भी मौका मिले, लेकिन पाकिस्तान सिर्फ भारतीय श्रद्धालुओं की जिद पर अड़ा है.
हिन्दुस्तान की ऐसी कई चिंताएं हैं जिसे पाकिस्तान अब तक अनसुना करता रहा है. लेकिन लाहौर पहुंची आजतक की टीम ने वहां लोगों से बात की तो उन्होंने करतारपुर कॉरिडोर को लेकर दोनों देशों के संबंध सुधरने का भरोसा जताया. पड़ोसी मुल्कों की आवाम चाहती है अमन कायम हो और करतारपुर कॉरिडोर के बहाने दोनों देशों में रिश्ते की कड़वाहट खत्म हो. लेकिन पाकिस्तान का रवैया सुस्ती भरा है.