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कश्मीर इफेक्ट: सरकार पर भड़के पूर्वोत्तर के उग्रवादी गुट, स्वतंत्रता दिवस ना मनाने के लिए कहा

भारत के पूर्वोत्तर में विद्रोही समूहों ने लोगों से स्वतंत्रता दिवस समारोह ना मनाने के लिए कहा. ये आह्वान यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) के साथ समन्वय समिति (कोरकॉम) ने किया.

फाइल फोटो फाइल फोटो
इंद्रजीत कुंडू
  • कोलकाता,
  • 15 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

भारत के पूर्वोत्तर में विद्रोही समूहों ने लोगों से स्वतंत्रता दिवस समारोह ना मनाने के लिए कहा. ये आह्वान यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) के साथ समन्वय समिति (कोरकॉम) ने किया. ये मणिपुर के अहम उग्रवादी गुटों का संगठन है. इस  बाबत 15 अगस्त को 1.30 बजे तड़के से शाम 6:30 बजे तक आम हड़ताल रखने को कहा गया. हालांकि, बाढ़ राहत कार्य, चिकित्सा सेवाओं, बिजली और पानी की आपूर्ति आदि जैसी आवश्यक सेवाओं को हड़ताल के दायरे से बाहर रखा गया.

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इन विद्रोही समूहों की ओर से बुधवार को साझा बयान में कहा गया, 'आत्मनिर्णय के लिए संघर्ष करने वाले लोगों के लिए 15 अगस्त को भारतीय स्वतंत्रता दिवस मनाने का कोई मतलब नहीं. आरएसएस-बीजेपी की एक राष्ट्र, एक धर्म और एक भाषा की विचारधारा का क्षेत्र के मूल निवासियों की ओर से जमकर लोहा लिया जाएगा. राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया लाने के क्रम में शिक्षा प्रणाली में बदलाव के जरिए देश में विस्तृत हिन्दुत्व प्रक्रिया लाई जा रही है. ये युवाओं की मानसिक स्वायत्तता को बदलने का अत्याचार पूर्ण कदम है.’   

विद्रोही समूहों ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार क्षेत्र की मूल संस्कृतियों को बदलने के ‘हिन्दू जीवन पद्धति’ को थोप रही है. इसके लिए हिंदी भाषा को लोकप्रिय बनाने के साथ हिंदी भाषी लोगों के जरिए ‘आबादी आक्रमण’ कराया जा रहा है.  साझा बयान में कहा गया,  'ये माटी के बेटों की अलग और मूल सांस्कृतिक पहचान दबाने के लिए नीतियों के जरिए किया जा रहा है. ये मूल आबादियों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव का बड़ा युद्ध छेड़ने जैसा है.' 

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विद्रोही समूहों ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हटाने के मोदी सरकार के फैसले पर भी निशाना साधा. साथ ही आशंका जताई कि इसी तरह के कदम पूर्वोत्तर में भी उठाए जाएंगे. साझा बयान में कहा गया 'भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने और जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश में बदलने का हालिया घटनाक्रम वहां के लोगों की सहमति लिए बिना सामने आया. ये लोकतात्रिंक सिद्धांतों की अवमानना और अहंकार का प्रतीक है. राज्य की मशीनरी को बंद करने और प्रमुख नेताओं की घर में नजरबंदी साफ तौर पर गंदी राजनीति है जो भविष्य में पूर्वोत्तर के लोगों पर भी लागू की जाएगी.' 

विद्रोहियों ने दावा किया कि संसद में जल्दबाजी में पारित किए गए सभी नए कानून मोदी के भारत में फासीवादी सत्ता को मजबूत करने के लिए हैं. एचएनएलसी, केसीपी, केएलओ, केवाईकेएल, एनडीएफबी, एनएलएफटी और पीडीसीके की तरफ से हस्ताक्षर किए एक अलग बयान में तंज करते हुए कहा गया कि कश्मीरियों को सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए कश्मीर को एक बड़े जेल-घर में तब्दील किया जा चुका है. कश्मीरी लोगों को हाल में दिखाया गया यह अहंकार बाहुबली हिन्दुत्व राष्ट्रवाद का उत्पाद है जो फासीवाद की असल किस्म है.'

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