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UNSC में कश्मीर मसला उठाने पर PAK की किरकिरी, चीन के अलावा किसी का समर्थन नहीं

चीन ने कश्मीर मामला यूएनएससी की बैठक के दौरान उठाया, जिसका स्थायी सदस्यों फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस के साथ 10 सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि यह मामला यहां उठाने की जरूरत नहीं है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो-PTI) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो-PTI)
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:00 AM IST

  • चीन ने रखा क्लोज डोर मीटिंग का प्रस्ताव
  • ब्रिटेन, फ्रांस समेत सभी सदस्यों ने किया विरोध
  • सभी देशों ने कहा- कश्मीर मसला द्विपक्षीय

कश्मीर मसले पर पाकिस्तान की संयुक्त राष्ट्र में किरकिरी हुई है. दरअसल, चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एओबी (एनी अदर बिजनेस) के तहत कश्मीर मसले पर क्लोज डोर मीटिंग का प्रस्ताव रखा. चीन ने यह प्रस्ताव पाकिस्तान की अपील पर रखा था, जिसके लिए 24 दिसंबर, 2019 की तारीख तय की गई थी, लेकिन तब मीटिंग नहीं हो पाई थी.

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चीन ने कश्मीर मामला यूएनएससी की मीटिंग के दौरान उठाया, जिसका स्थायी सदस्यों फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस के साथ 10 सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि यह मामला यहां उठाने की जरूरत नहीं है.

बाकी सदस्यों ने किया विरोध

इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया है कि अगस्त 2019 के बाद कश्मीर पर क्लोज डोर मीटिंग को लेकर की गई पहल कामयाब नहीं हो सकी. किसी ने चीन के प्रस्ताव को नहीं माना. सूत्रों का कहना है कि यूएनएससी के अन्य सभी 14 सदस्यों का मानना ​​है कि यह कोई ऐसा मामला नहीं था, जिसके लिए चर्चा की जरूरत थी.

सामने आया पाकिस्तान का झूठ

संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दूत सैयद अकबरुद्दीन ने इंडिया टुडे से कहा, 'हमें खुशी है कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधियों की ओर से कश्मीर पर लगाए गए बेबुनियाद आरोपों की असलीयत सामने आ गई. पाकिस्तान अपने मंसूबों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाब करने के लिए चीन का इस्तेमाल करता है. पाकिस्तान अपने यहां के हालात को छिपाने के लिए झूठ फैलाता है.'

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चीन के प्रस्ताव के खिलाफ फ्रांस

यूएनएससी में चीन के प्रस्ताव पर फ्रांसीसी राजनयिक सूत्रों ने कहा, 'फ्रांस ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए UNSC सदस्य (चीन) के अनुरोध को नोट किया है. फ्रांस की स्थिति नहीं बदली है और बहुत स्पष्ट है कि कश्मीर मुद्दे का हल भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए.'

सबने माना कश्मीर मसला द्विपक्षीय

कश्मीर मुद्दे पर ब्रिटेन ने कहा कि यह द्विपक्षीय मसला है और इसका संयुक्त राष्ट्र से कोई लेना-देना नहीं है. ब्रिटेन की तरह अमेरिका ने भी कहा कि यह मामला यूएनएससी का नहीं है. भारतीय राजदूत अकबरुद्दीन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य करने के लिए भारत सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान गड़बड़ी करने की कोशिश कर रहा है.

भारत ने जाहिर की खुशी

सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, 'हमें खुशी है कि चीन के प्रयास को एक व्याकुलता के रूप में देखा गया और भारत के कई दोस्त देशों ने कहा कि यह मामला द्विपक्षीय है और इसको यूएनएससी के सामने उठाने की जरूरत नहीं है. पाकिस्तान को भारत से बातचीत करके मामले का हल ढूंढना चाहिए.'

एस्टोनिया ने भी बताया द्विपक्षीय मसला

फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के अलावा यूएनएससी के एक और सदस्य ने कश्मीर मसले को द्विपक्षीय बताया. नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में एस्टोनियाई विदेश मंत्री उरमास रिंसलू ने कहा कि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है.

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कश्मीर में हालात हो रहे हैं सामान्य

पाकिस्तान की अपील पर चीन ने यूएनएससी के सामने कश्मीर का मसला उस वक्त उठाया, जब भारत ने 15 देशों के राजनयिकों को जम्मू-कश्मीर का दौरा कराया. भारत ने हाल में ही जम्मू-कश्मीर में ब्रॉडबैंड और 2जी सेवाओं में रियायत दी है. इसके साथ ही कुछ राजनीतिक बंदियों की रिहाई की गई है.

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