Advertisement

कश्मीरी अलगाववादी नेताओं का आरएसएस चीफ भागवत पर पलटवार

मोहन भागवत के बयान पर अब कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने पलटवार किया है और भागवत पर कश्मीर की ऐतिहासिक स्थिति से छेड़छाड़ करने का आरोप भी लगाया है.

मोहन भागवत, सैयद अली शाह गिलानी और यासीन मलिक मोहन भागवत, सैयद अली शाह गिलानी और यासीन मलिक
आशुतोष कुमार मौर्य/BHASHA
  • श्रीनगर,
  • 02 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 4:12 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की 92वीं वर्षगांठ पर हाल ही में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने और कश्मीर वासियों को देश के साथ आत्मसात करने के लिए संविधान संशोधन की जरूरत बताई थी.

मोहन भागवत के उस बयान पर अब कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने पलटवार किया है और भागवत पर कश्मीर की ऐतिहासिक स्थिति से छेड़छाड़ करने का आरोप भी लगाया है.

Advertisement

कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी ने बीजेपी-पीडीपी गठबंधन पर राज्य की 'राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और ऐतिहासिक स्थिति' से छेड़छाड़ की लगातार कोशिश का आरोप लगाया.

वहीं मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के एक प्रवक्ता ने कहा, "भागवत को इतिहास में झांकना चाहिए, और उनको पता लगेगा कि कश्मीर एक विवाद है, जिसे विश्व का सर्वोच्च फोरम संयुक्त राष्ट्र भी मानता है."

जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक ने एक अलग बयान में कहा, "भागवत को भारत के बारे में सोचना चाहिए जो आरएसएस की अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों के कारण विभाजन के कगार पर है."

गौरतलब है कि रविवार को आरएसएस के नागपुर स्थित मुख्यालय पर भागवत ने कहा था, "कश्मीरियों को भारत के साथ एकीकृत करने के लिए सरकार को और ज्यादा प्रयास करने चाहिए. दो-तीन महीने पहले तक चीजें अनिश्चित थीं, लेकिन जिस तरह अलगाववादियों को हैंडल किया गया है. पुलिस और आर्मी को खुली छूट मिली है. अलगाववादियों के आर्थिक स्त्रोत खत्म कर दिए गए हैं और पाकिस्तान के साथ उनका रिश्ता उजागर हो गया है. जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है. कश्मीर पर दृढ़ता का स्वागत है, लेकिन लद्दाख, जम्मू सहित सम्पूर्ण राज्य में भेदभावरहित, पारदर्शी और स्वच्छ प्रशासन की आवश्यकता है."

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement