
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने खुलकर अपनी बात रखी है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश के सभी मुसलमानों में डर नहीं हैं, बल्कि मुसलमानों का एक वर्ग है, जिसके दिल में खौफ पैदा किया जा रहा है. इस दौरान आरिफ मोहम्मद ने यह भी सवाल उठाया कि देश के मुसलमानों के एक वर्ग में डर पैदा करने की बात कोई नई नहीं है.
आजतक की एग्जिक्यूटिव एडिटर अंजना ओम कश्यप से खास बातचीत में आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि जब साल 1986 में शाहबानो का मामला सामने आया था, तब भी मुसलमानों का एक वर्ग बेहद उत्तेजित था. साथ ही धमकी दे रहा था कि शाहबानो केस पर जो मुस्लिम सांसद हमसे असहमत हों, उनकी टांगें तोड़ दो. उस वक्त मुझको न जाने कितने खतरों का सामना करना पड़ा था. आपको बता दें कि आरिफ मोहम्मद खान वही शख्स हैं, जिन्होंने शाहबानो केस पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कदम का विरोध किया और असहमति जताते हुए राजीव गांधी सरकार से इस्तीफा दे दिया था.
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर देश के सभी मुसलमानों में डर नहीं है, बल्कि मुसलमानों के एक वर्ग में खौफ पैदा किया जा रहा है. उन्होंने लोगों से कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर किसी को डरने की जरूरत नहीं है. जिनको इसको लेकर डर लग रहा है, उनको पहले इस कानून को पढ़ना चाहिए. यह कानून वह है, जिसकी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, मौलाना आजाद जैसे हमारे राष्ट्रीय नेताओं ने बात की थी.
पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना सरकार का दायित्वः आरिफ खान
पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने वाले कानून यानी सीएए पर जवाब देते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘साल 1946 में मौलाना आजाद ने कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाले लोगों का मिजाज आतंकवादी है. वहां से हिंदू या तो निकाले जाएंगे या फिर जान बचाकर भागेंगे. इसके बाद 1947 में महात्मा गांधी ने भी यही बात कही थी कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों का यह अधिकार होगा कि ये लोग जब चाहें, तब हिंदुस्तान आएं और भारत सरकार का यह नैतिक दायित्व होगा कि वह इनको रोजगार और नागरिकता दे. साथ ही वो सभी सुविधाएं मुहैया कराए, जो सभ्य जीवन जीने के लिए जरूरी है. आज मौजूदा सरकार वही वादा पूरा कर रही है.
एनआरसी को लेकर पूछे गए सवाल पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि क्या दुनिया में ऐसा कोई देश है, जिसके पास अपने नागरिकों का रजिस्टर न हो. जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, बौद्धों और जैनियों को नागरिकता देना और मुस्लिमों को नहीं देना धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं है? इसके जवाब में आरिफ खान ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर दोनों अलग-अलग चीजे हैं. इससे धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होता है. पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का वादा पहले ही किया गया था.
मनमोहन और गहलोत भी कर चुके हैं इसकी वकालतः आरिफ खान
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को नागरिकता देने की मांग कर चुके हैं. साल 2003 में मनमोहन सिंह ने कहा था कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ना सहनी पड़ रही है. अगर उनको वहां से छोड़कर भागना पड़ता है, तो उनको नागरिकता देना भारत का नैतिक दायित्व है. एक अन्य सवाल के जवाब में आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हमारा वादा सिर्फ 1947 के बंटवारे के कारण प्रताड़ित हुए लोगों के लिए था.
आरिफ खान ने कहा- अपनी बात मनवाने के लिए हिंसा गलत
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि असम में एक समझौते के तहत एनआरसी को लागू किया गया है. अगर एनआरसी को लेकर कोई दिक्कत थी, तो साल 2003 में क्यों नहीं इसका विरोध किया गया? इस दौरान उन्होंने नागरिता संशोधन कानून को लेकर हिंसक प्रदर्शन करने को गलत बताया.
उन्होंने कहा कि इस मुल्क में सबको अपनी राय रखने और विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है. यहां ऐसा नहीं है कि आपकी आवाज कोई न सुने, लेकिन हिंसा करके अपनी बात नहीं मनवाई जा सकती है. संविधान के साथ छेड़छाड़ के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अगर कुछ भी संविधान के खिलाफ है, तो अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए. हमारे यहां की अदालतें तो इतनी संवेदनशील हैं कि रात को घर में तक सुनवाई करने को तैयार हो जाती हैं.