
केरल हाईकोर्ट ने इंटरनेट के इस्तेमाल को संविधान के तहत दिए गए शिक्षा के अधिकार का ही हिस्सा बताया है. केरल हाईकोर्ट ने यह फैसला उस याचिका पर सुनाया जिसे एक छात्रा ने गर्ल्स हॉस्टल में लड़कियों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगने के विरोध में दाखिल किया था.
याचिकाकर्ता कोझिकोड के चेलानुर स्थित श्री नारायण कॉलेज की फहीमा शिरिन नाम की छात्रा है. फहीमा ने मोबाइल के इस्तेमाल पर हॉस्टल से निष्कासित होने पर यह याचिका दायर की थी. दरअसल, हॉस्टल के नियमों के मुताबिक छात्राओं को शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक मोबाइल के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है. नियम का उल्लंघन करने पर छात्रा को निष्कासित किया गया था.
याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रतिबंध निजता के अधिकार, अभिव्यक्ति के अधिकार और शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है. फहीमा ने कहा है कि मोबाइल फोन पर रोक लगने और इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करने की वजह से उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है.
जिसपर जस्टिस पीवी आशा की अगुवाई वाली एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल करना अनुच्छेद 21 के तहत शिक्षा के अधिकार और निजता के अधिकार का हिस्सा है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि छात्र-छात्राओं के जीवन में इंटरनेट का इस्तेमाल जरूरी है, क्योंकि मोबाइल फोन और इंटरनेट के माध्यम से कई जरूरी जानकारियां प्राप्त की जाती हैं. कोर्ट ने हॉस्टल प्रशासन को तत्काल प्रभाव से इस तरह की रोक को हटाने का आदेश दिया है.