
केरल दो दशक पहले ही देश का पूर्ण साक्षर राज्य घोषित हो चुका है, लेकिन अब वहां दूसरे जन साक्षरता अभियान की तैयारी की जा रही है. असल में इन दो दशकों में साक्षरता में जो कमी रह गई है, उसे केरल फिर से अभियान चलाकर वास्तव में 100 फीसदी साक्षरता हासिल करना चाहता है.
यूनेस्को के मानकों के मुताबिक केरल 18 अप्रैल, 1991 को ही पूर्ण साक्षर राज्य घोषित हो चुका है. यूनेस्को के नियम के मुताबिक अगर किसी देश या राज्य की 90 फीसदी जनसंख्या साक्षर है तो उसे पूर्ण साक्षर मान लिया जाता है. इस तरह आंकड़ों के हिसाब से तो केरल पूर्ण फीसदी साक्षर माना जा सकता है. लेकिन केरल सरकार असल में साल 2011 में जनगणना के जो नए आंकड़े आए उसमें यह पता चला कि ऊंची साक्षरता दर और स्कूल ड्रॉपआउट रेट बेहद कम होने के बावजूद केरल में 18 लाख लोग निरक्षर हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार अब नए अभियान के द्वारा केरल सरकार ने 100 फीसदी साक्षरता दर हासिल करने का लक्ष्य बनाया है. इसके तहत समाज के हर वर्ग, हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने की कोशिश की जाएगी. राज्य सरकार की केरल राज्य साक्षरता अभियान के द्वारा 26 जनवरी से 'अक्षरलक्षम' कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी. सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस अभियान में आदिवासियों, मछुआरों, झुग्गी बस्तियों के लोगों पर खास ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इस मिशन के तहत फिलहाल वार्ड स्तर पर सर्वे कर लिया गया है और ऐसे लोगों की पहचान कर ली गई है जो निरक्षर हैं. इन सभी लोगों को 26 जनवरी से पढ़ाने का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा. राज्य सरकार सारे उपाय करके 100 फीसदी साक्षरता हासिल करने का लक्ष्य हासिल करेगी.
साल 2001 में केरल की साक्षरता दर 90.86 फीसदी थी, लेकिन 2011 में यह दर बढ़कर 94 फीसदी तक पहुंच गई.
नई 'अक्षरलक्षम' साक्षरता योजना राज्य के कुल 20,000 वार्ड में शुरू की जाएगी और पहले चरण में इसमें 2,086 वार्ड को शामिल किया जाएगा.