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झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे खिले, बेहतर रहेगा खरीफ फसलों का उत्‍पादन

मानसून की झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं और इसका साफ असर फसल बुवाई पर भी नजर आने लगा है. इस बार 22 जुलाई तक खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 22 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा.

खरीफ की फसल खरीफ की फसल
सिद्धार्थ तिवारी/सबा नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 8:48 PM IST

मानसून की झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं और इसका साफ असर फसल बुवाई पर भी नजर आने लगा है. इस बार 22 जुलाई तक खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 22 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा.

कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस बार खरीफ सीजन में पूरे देश में 692.98 लाख हेक्टेयर के रकबे में बुवाई दर्ज की गई है. खरीफ फसल की बुवाई इस बार ज्यादा रहने के पीछे सबसे बड़ा कारण है जून में कम बारिश के बावजूद जुलाई में हुई झमाझम बारिश.

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सामान्‍य के मुकाबले 35 फीसदी ज्‍यादा
इस बार मानसून सीजन में जुलाई के पहले 15 दिनों में बारिश सामान्य के मुकाबले 35 फीसदी ज्यादा रही और इसका बहुत ही सकारात्मक असर देश की कृषि पर देखा गया. जुलाई के महीने में झमाझम बारिश का सिलसिला अभी भी जारी है. खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान है और इसकी मानसून पर निर्भरता काफी हद तक है. इस बार देश में धान की बुवाई का रकबा पिछले साल के 182.38 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 183.06 लाख हेक्टेयर रहा है. यानी धान उत्पादक राज्यों में बुवाई ने जोर पकड़ लिया है.

बढ़ेगा धान का उत्‍पादन
धान की बुवाई बेहतर रहेगी और इस बार इसका उत्पादन भी बढ़ेगा. इसकी वजह ये है कि इस बार अगस्त और सितंबर में मानसून की बारिश पिछले कई सालों के मुकाबले ज्‍यादा रहने का अनुमान है. मोटे अनाजों की खरीफ बुवाई भी इस बार पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 3.5 फीसदी बढ़कर 130.80 लाख हेक्टेयर हो चुकी है. सरसों और मूंगफली जैसी तिलहन फसलों का बुवाई रकबा भी खरीफ सीजन के दौरान पिछले साल के मुकाबले 4.28 फीसदी बढ़कर 149.16 लाख हेक्टेयर हो गया है.

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दलालों पर होगी कार्रवाई तो दालों की कीमतें घटेंगी
दलहन की बात करें इस साल इसके बुवाई रकबे में जोरदार बढ़ोतरी देखी गई है. पिछले साल 22 जुलाई तक दालों की बुवाई 64.69 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई थी. लेकिन खरीफ सीजन में इस बार दलहन फसलों का बुवाई रकबा 39.39 फीसदी बढ़कर 90.17 लाख हेक्टेयर रहा है. इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि इस समय दालों की कीमतों में दिख रहा उछाल जमाखोरी और दूसरे कारणों की वजह से हो सकता है. अगर सरकार जमोखोरों और दलालों के खिलाफ कदम उठाए तो दालों की कीमतों में नरमी आने की पूरी संभावना है.कृषि मंत्रालय के आंकड़ों पर अगर भरोसा करें तो बेहतरीन मानसून का असर खरीफ सीजन में बुवाई पर साफ दिख रहा है. इससे यहीं कहा जा सकता है कि इस बार खरीफ फसलों का उत्पादन पहले से काफी बेहतर रहने की संभावना है.

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