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देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम, PM मोदी-राष्ट्रपति ने दी बधाई

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर देश में कई जगह दही हांडी समेत अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. देश के मंदिरों में रौनक लगी हुई है.

देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम (फोटो - Getty) देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम (फोटो - Getty)
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 7:53 AM IST

यशोदा के लाल और भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाने वाले श्रीकृष्ण का आज जन्मदिन है. हर साल की तरह इस बार भी पूरा देश श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2018) बड़े धूमधाम से मना रहा है. इस बार इस त्योहार को दो दिनों तक मनाया जा रहा है, कुछ हिस्सों में रविवार को इसे मनाया गया हालांकि अधिकतर हिस्सों में आज ही इसका जश्न मना रहे हैं.

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रविवार रात से ही मथुरा, वृंदावन, वाराणसी समेत देश के कई बड़े मंदिरों में रौनक लगनी शुरू हो गई. हर जगह भक्तों का तांता लग गया. आज देश के कई हिस्सों में कई बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू समेत कई बड़े नेताओं ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर देशवासियों को बधाई दी.

कृष्ण जन्माष्टमी पर कैसे करें पूजन-

- व्रत की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें.

- सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्‌पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें.

- व्रत के दिन सुबह स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं.

- इसके बाद जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें:

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कैसी ही कान्हा की कहानी...

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अत्यंत कठिनाई में मातुल कंस की जेल में हुआ. पिता वसुदेव ने उफनती यमुना को पार कर रात्रि में ही उन्हें वृंदावन में यशोदा-नन्द के घर छोड़ा.

यशोदानंदन को खोजने और मारने कंस ने कई राक्षस-राक्षनियों को वृंदावन भेजा. नन्हे बालगोपाल ने स्वयं को इनसे बचाया. इंद्र के प्रकोप और घनघोर बारिश से वृंदावनवासियों को बचाने गोवर्धन पर्वत उठाया. मनमोहन ने गोपिकाओं से माखन लूटा. गायें चराईं. मित्र मंडली के साथ खेल खेल में कालियादह का मानमर्दन किया. बृजधामलली राधा और अन्य गोपियों के साथ रास किया. कंस वध किया.

बालमित्र सुदामा से द्वारकाधीश होकर भी दोस्ती को अविस्मृत रखा. द्रोपदी का चीरहरण निष्प्रभावी किया. धर्मपालक पांडवों की हर परिस्थिति में रक्षा की. अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया. द्वारकापुरी की स्थापना की.

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