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कुलभूषण जाधव केसः ICJ में सुनवाई के दौरान मौजूद था ISI का अफसर

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारी वहां मौजूद थे और उनकी कोशिश कैमरे से बचने की थी, लेकिन इंडिया टुडे ने उसके एक अफसर को देख लिया, जो अदालत से बाहर निकलने से पहले पत्रकारों के हटने का इंतजार कर रहा था. खुद पाकिस्तान की कोशिश आईएसआई अधिकारी को कैमरे से दूर रखने की थी.

हेग में अंतरराष्ट्रीय अदालत में सुनवाई के दौरान पाकिस्तान (फाइल-REUTERS) हेग में अंतरराष्ट्रीय अदालत में सुनवाई के दौरान पाकिस्तान (फाइल-REUTERS)
गीता मोहन
  • हेग,
  • 22 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 10:57 AM IST

हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) में पिछले 4 दिन भारत और पाकिस्तान कुलभूषण जाधव के केस में अपना पक्ष रखते रहे, लेकिन इस बीच वहां कुछ ऐसा हुआ जो किसी को भी आश्चर्यचकित कर सकती है. इंडिया टुडे के पास इस बात की जानकारी है कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का अधिकारी भी मौजूद था और कार्रवाई पर नजर बनाए हुए था.

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पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारी वहां मौजूद थे, हालांकि उनकी कोशिश कैमरे से बचने की थी, लेकिन इंडिया टुडे ने उसके एक अफसर को देख लिया, जो अदालत से बाहर निकलने से पहले पत्रकारों के हटने का इंतजार कर रहा था. खुद पाकिस्तान आईएसआई अधिकारियों को कैमरे से दूर रखने की कोशिश में लगा रहा.

कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई के अंतिम दिन पाकिस्तान ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) से जाधव को राहत देने के मामले में भारत के दावों को 'खारिज या अस्वीकार' करने की मांग की है.  पाकिस्तान की ओर से नया पैंतरा चलाते हुए कहा गया कि पाकिस्तान की एक सिविल अदालत में उनके खिलाफ केस चल रहा है इसलिए उन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए.

डोभाल 'जेम्स बॉन्ड'

सुनवाई के दौरान पाकिस्तान की ओर से अपशब्दों का इस्तेमाल भी किया गया. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल को व्यंग्यात्मक लहजे में 'जेम्स बॉन्ड' करार दिया. उन्होंने कहा कि अगर वह लंदन आते हैं तो उनके लिए जेम्स बॉन्ड में काम करने के लिए वैकेंसी रहेगी.

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कुलभूषण जाधव भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. उन्हें बंद कमरे में सुनवाई के बाद अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने 'जासूसी और आतंकवाद' के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी.

कोर्ट में बुधवार को भारत ने पाकिस्तान की कुख्यात सैन्य अदालतों की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत से अपील की थी कि वह जाधव की मौत की सजा खत्म करे क्योंकि यह 'जबरन कबूलनामे' पर आधारित है. सुनवाई के अंतिम दिन अंतरराष्ट्रीय अदालत में पाक के वकील खावर कुरैशी ने अपनी अंतिम दलील पेश करते हुए कहा कि राहत के लिए भारत के दावे को जरूर खारिज या अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए.

अटॉर्नी जनरल ने अपने अंतिम बचाव में कहा कि जाधव मामले में भारत की ओर से राहत का दावा अब भी उतना ही चालाकी भरा है जितना यह उस समय (आठ मई, 2017) था. कुरैशी ने कहा कि भारत वह राहत चाहता है जो इस अदालत से हासिल नहीं कर सकता. पाक की सैन्य अदालत संविधान के अनुसार काम करती है. उन्होंने आईसीजे से 'भारत के आग्रह को खारिज' करने को कहा. पाक की ओर से अदालत को यह भी आश्वासन दिया गया कि पाकिस्तान में न्यायिक पुनर्विचार की प्रक्रिया मजबूत है और जाधव अगर यह चुनते हैं तो वह इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.

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