
भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ) ने अंतरिम रोक लगा दी है. जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई है.
अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत के फैसले पर भारत ने खुशी जाहिर की है. राजनेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है.
वीके सिंह ने जताई खुशी
विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह ने इस फैसले पर खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि, 'विदेश मंत्रालय ने कुलभूषण जाधव को छुड़ाने के लिए बहुत काम किया. खासकर हमारी विदेश मंत्री सुषमा जी ने बहुत काम किया. इस काम के लिए हरीश साल्वे को नियुक्त किया गया था.'
बीजेपी सांसद और पूर्व गृह सचिव आर के सिंह ने कोर्ट के इस फैसले को भारत की जीत करार दिया है. उन्होंने कहा, 'कुलभूषण जाधव को जिस तरह से पाकिस्तान ने फांसी की सजा दी है और अब अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी है, यह भारत के लिए बड़ी जीत है.'
हालांकि आर के सिंह ने ये पाकिस्तान के रुख पर नाउम्मीद भी जताई. उन्होंने कहा, 'जिस तरह से पाकिस्तान का रवैया है, ऐसे में कम ही उम्मीद है कि पाकिस्तान यह फैसला मानेगा.'
वहीं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने भी अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के इस फैसले की सराहना की. उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का ये फैसला सही है और हम इसका स्वागत करते हैं.'
देश के मशहूर वकील और स्वराज इंडिया के संस्थापक प्रशांत भूषण ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया. साथ ही उन्होंने ये मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ले जाने के लिए भारत सरकार की तारीफ की.
कांग्रेस ने भी किया स्वागत
कांग्रेस ने भी कुलभूषण पर कोर्ट के फैसले को सराहा. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए पाकिस्तान की आलोचना भी की. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने कुलभूषण को ट्रायल की अनुमति नहीं दी और आज उसका झूठ सामने आ गया.
रक्षा विशेषज्ञ अनिल गौड़ ने ने कहा कि ICJ को अब पाकिस्तान पर प्रेशर बनाना चाहिए, ताकि भारतीय राजनयिकों को वहां जाने की इजाजत मिल सके और सच सामने आए.
बता दें कि जासूसी का दोषी पाते हुए पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 11 अप्रैल, 2017 को कुलभूषण को फांसी की सजा सुनाई थी. जिसके बाद भारत ने पाकिस्तानी की सैन्य अदालत के इस फैसले के खिलाफ ICJ में 8 मई को अपील की थी.