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कुंभ में छाए ऑस्ट्रेलियन बाबा, जानें- नास्तिक से कैसे बने संत

कुंभ 2019 के मेले में ऑस्ट्रेलियन बाबा चर्चा में बने हुए हैं. आइए जानते हैं कि वह किस तरह एक नास्तिक से संत बने और कैसे हुई उनके इस जीवन की शुरुआत.

Photo: ANI Twitter Photo: ANI Twitter
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 19 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 10:26 AM IST

Kumbh Mela 2019: कुंभ भारतीय संस्कृति का एक ऐसा धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो सिर्फ देशवासियों पर ही नहीं बल्कि, पूरी दुनिया के लोगों पर अपनी छाप छोड़ देता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले शरभंग गिरि बाबा. कुंभ 2019 के शाही स्नान और अखाड़ों के अलावा शरभंग गिरि बाबा भी सुर्खियों में बने हुए हैं.

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दरअसल, साल 1998 में शरभंग गिरि बाबा ऑस्ट्रेलिया से भारत आए थे. उस दौरान वह दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक पर्व कुंभ के मेले में शामिल हुए. हैरानी की बात यह है कि जब वह ऑस्ट्रेलिया से भारत आए थे, तब वह पूरी तरह से नास्तिक थे. लेकिन आज वही शरभंग गिरि बाबा एक प्रसिद्ध संत है, जो कुटिर यानी झोपड़ी में रहते हैं. वह भारतीय संतों के सबसे बड़े समूह का हिस्सा हैं.

शरभंग गिरि बाबा को 'ऑस्ट्रेलियन बाबा' भी कहा जाता है. बाबा के मुताबिक, उन्हें शरभंग गिरि नाम उनके पहले गुरु बाबा मंगल गिरि ने दिया था. उन्होंने बताया कि वह चौथी बार कुंभ के मेले में शामिल हुए हैं.

अपने नाम के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि रामायण में शरभंग एक संत का नाम था, जिनसे भगवान राम मिले थे. उन्होंने आगे बताया कि, गुजरात की गिरनार पहाड़ियों पर गुरु दत्तात्रेय से मिलने के बाद वह नास्तिक से संत बने थे.

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शरभंग गिरि के मुताबिक, संत बनने से पहले उन्हें हिंदू धर्म के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी. लेकिन 1998 में पहली बार भारत आने के बाद उनके अनुभवों ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया और इस तरह एक संत के रूप में उनके जीवन की शुरुआत हुई.

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