
एक देश एक चुनाव को लेकर लॉ कमीशन ने सभी दलों की बैठक बुलाई है. देश में कितना व्यवहारिक है एक चुनाव और कब तक इसको लागू करेंगे. इस सवाल पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह विषय लॉ कमीशन का है.
उन्होंने कहा, 'एक नीतिगत विषय है. अभी छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश के चुनाव हैं और उसके बाद लोकसभा के चुनाव हैं. यही नहीं, उसके साथ उड़ीसा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का चुनाव भी है. कुछ दिन बाद हरियाणा का चुनाव है. उसके बाद महाराष्ट्र का चुनाव है. ऐसे में मॉडल ऑफ कंडक्ट लगता है, उसका असर भी पड़ता है. पैसे भी खर्च होते हैं और अफसर पदस्थापित भी होते हैं.'
उन्होंने कहा कि इन सब चीजों से बचने के लिए एक सोच बनी है क्या हम एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़े बढ़ सकते हैं. स्वभाविक है कि सबसे चर्चा करने के बाद ही ऐसा होगा. अब लॉ कमीशन सबसे चर्चा शुरू कर रहा है. जब तक चर्चा की प्रक्रिया खत्म नहीं होती, जब तक लॉ कमीशन रिकमेंडेशन नहीं देगा, तब तक मेरे लिए कुछ भी बोल पाना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि ये एक नीतिगत विषय है, जिसमें देश में एक सार्थक चर्चा होनी चाहिए. हर बार चुनाव के बदले इस पर रास्ता निकलना चाहिए.
एक साथ चुनाव के व्यवहारिक होने के सवाल पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उसका रास्ता निकाला जाएगा. एक बार चर्चा होगी, जो उनकी चिंता है, जो उनके प्रश्न हैं, उसका उत्तर दिया जाएगा. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इस चर्चा को आप एक सार्थक रूप से बढ़ने दीजिए.
उन्होंने कहा, 'मैं इतना ही चाहता हूं लेकिन इससे पहले कि मैं अपना कोई विचार दूं एक बार पार्टी अपनी राय रखे. लॉ कमीशन अपना काम कर ही रहा है, उसके बाद इस बारे में सोचेंगे. लेकिन हां, देश में एक अपेक्षा है. देखिए चुनाव बार-बार होते हैं, आप गवर्न नहीं कर सकते. मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट आता है. फिर खर्चा होता है. सारे पदाधिकारी पोस्टेड होते हैं. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान के चुनाव हैं. इन तीनों प्रदेशों के पदाधिकारी तो पोस्टेड नहीं होंगे तो बाहर से भेजिए. तो फिर वहां गवरनेस इफेक्ट होगा. इन सारी चीजों पर चर्चा होनी चाहिए.'
2019 तक एक देश एक चुनाव पर रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'इसके बारे में मेरा कुछ भी कहना उचित नहीं होगा. लॉ कमीशन विचार कर रहा है, उनका विचार होने दीजिए. जैसा मैंने कहा इस पर सारी पार्टियों की राय जरूरी है.'