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नोएडा की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी के चलते ही संभवत: सरकार को आईएएस, आईपीएस और अन्य अधिकारियों को अधिक सुरक्षा देने के लिए अखिल भारतीय सेवा नियमों में बदलाव पर विचार करना पड़ा.
लखनऊ स्थित आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा को सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, 'सोनिया गांधी की ओर से लिखे गए पत्र की पृष्ठभूमि में डीओपीटी एआईएस (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 में संशोधन की प्रक्रिया जारी है, जिसे विचार एवं मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष पेश करने की जरूरत होगी.' प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस बारे में और ब्यौरा देने से इनकार करते हुए कहा, 'चूंकि मामला कैबिनेट से संबंधित है, इसलिए इसे आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (आई) के तहत छूट प्राप्त है.'
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से जुड़े प्रशासनिक मामलों को देखने वाले शीर्ष निकाय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) उन नियमों पर नए सिरे से विचार कर रहा है, जिसमें सेवारत अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है. यह पहल 2010 बैच की उत्तर प्रदेश कैडर की आईएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल के निलंबन की पृष्ठभूमि में सामने आई है, जिन्होंने राज्य के गौतम बुद्ध नगर में खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई की थी.
28 वर्षीय अधिकारी को तय प्रक्रिया का पालन किये बिना निर्माणाधीन मस्जिद की एक चाहरदीवारी को गिराने का आदेश देने के लिए निलंबित किया गया था.
इनके निलंबन के बाद राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और अधिकारियों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने की बात कही थी.
सोनिया ने दो अगस्त को लिखे पत्र में कहा था, 'हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिकारियों के साथ अनुचित व्यवहार नहीं हो. वहीं, इस विशेष घटना ने यह रेखांकित किया है कि इस बात का आकलन करने की जरूरत है कि क्या कार्यकारी पदाधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है.'
सोनिया गांधी ने कहा था कि अनुपालन करने वाले तंत्र को महसूस करना चाहिए कि माहौल बिना भय या पक्षपात के लोकसेवा प्रदान करने के उपयुक्त हो. अगर भारतीय प्रशासनिक सेवा नियमों में बदलाव होता है तो इसका दो अन्य अखिल भारतीय सेवा- भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा पर भी प्रभाव पड़ेगा.
4700 से अधिक सदस्यता वाले आईएएस अधिकारी संघ ने भी नियमों में बदलाव का सुझाव दिया है, जिसमें अन्य बातों के अलावा राज्य सरकार की ओर से किसी अधिकारी को सेवा से निलंबित किये जाने से पहले केंद्र की मंजूरी लेना शामिल है.