
आगामी चुनावों में हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर ध्रुवीकरण की कोशिशों से निपटने की रणनीति के तहत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार शाम पांच बजे उदारवादी मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात करेंगे. पहले चरण में करीब एक दर्जन बुद्धिजीवी मुलाकात करेंगे, जिनमें जोया हसन, शबनम हाशमी, जेडके फैजान, सैय्यदा हामिद और महिला सोशल मीडिया एक्टिविस्ट नकवी जैसे नाम शामिल हैं.
इसमें कांग्रेस की तरफ से अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन नदीम जावेद शामिल होंगे. साथ ही कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद भी शिरकत कर सकते हैं. इस तरह यह बैठक का पहला चरण है. इसके अगले चरण में जावेद अख्तर और शबाना आज़मी जैसे चेहरे शामिल होंगे.
साल 2014 की हार के कारणों की छानबीन के लिए बनी एंटनी कमेटी ने कांग्रेस पार्टी की प्रो-मुस्लिम छवि को कुसूरवार ठहराया था. ऐसे में भविष्य के लिहाज से मुस्लिम वोटों के मद्देनजर कांग्रेस अब फूंक-फूंककर कदम उठा रही है. दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि आज के दौर में हिन्दू-मुस्लिम की सियासत से निपटने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी. इसीलिए राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों और विचारकों के साथ संगोष्ठी बुलाई हैं.
आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ कई बैठक करने के बाद राहुल गांधी की नज़र अब बड़े मुस्लिम वोट बैंक पर है. इससे भी बड़ी बात यह है कि उनके सामने चुनाव में हिन्दू-मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने की भी बड़ी चुनौती है. लिहाजा राहुल गांधी ने मुस्लिमों से जुड़ने के लिए उन चेहरों को चुना है, जो कट्टरपंथी नहीं बल्कि उदारवादी और विद्वान समझे जाते हैं.
राहुल गांधी इस बैठक के ज़रिए मुस्लिम समाज में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाना चाहते हैं. साथ ही इन मुस्लिम बुद्धिजीवियों से इस बात को लेकर भी चर्चा करेंगे कि कैसे चुनावी माहौल में ध्रुवीकरण को रोका जाए? राहुल इन लोगों से मिली राय को अपनी पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल करेंगे.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव और तीन अहम राज्यों के चुनाव से पहले इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है. राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव हैं. इस बावत कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष नदीम जावेद ने कहा कि राहुल गांधी उन लिबरल लोगों से मुलाकात करते रहेंगे, जिनकी सोच सही दिशा में है. संवाद का यह कार्यक्रम चलता रहेगा.
बदली रणनीति के तहत कांग्रेस पार्टी मुस्लिम कट्टरपंथियों से अलग दिखना चाहती है, ताकि बीजेपी इस संवाद को मुद्दा बनाकर फायदा न उठा सके. पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी. अब पार्टी ये गलती दोहराना नहीं चाहती.