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ईवीएम पर उठ रहे कई सवाल, चुनाव आयोग को देना होगा जवाब

लोकसभा चुनाव के पहले विपक्ष ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर कई सवाल उठाए थे. भारतीय जनता पार्टी की बंपर जीत के कारण कई सवाल दब गए. लेकिन इस बार के चुनाव में कुछ नए सवाल जरूर पैदा हुए हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जून 2019,
  • अपडेटेड 11:31 PM IST

इस बार के लोकसभा चुनाव में दो नए मुद्दे सामने आए हैं. पहला, चुनाव आयोग की बेवसाइट पर मतों की जो संख्या दर्शाई गई है उसमें और ईवीएम से जो वोट की संख्या मिली दोनों में अंतर है. हालांकि इसमें आयोग ने स्पष्ट कर दिया था कि वेबसाइट पर डाले गए आंकड़े अंतरिम हैं और बाद में सुधार कर अंतिम आंकड़े डाल दिए जाएंगे. दूसरा मुद्दा बड़ी संख्या में ईवीएम के गायब होने का है. यह जानकारी आरटीआई के तहत मिली थी. अब चुनाव आयोग से उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस पर स्थिति साफ करेगा.

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विपक्षी दलों ने चुनाव से पहले डाले गए वोटों के 50 फीसदी की वीवीपैट के जरिए जांच की मांग की थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने नामंजूर कर दिया था. लेकिन 5 फीसदी वोटों की VVPAT जांच की इजाजत दी गई थी. हालांकि इसमें यह साफ नहीं किया गया था कि अगर दोनों में काफी अंतर हो तो क्या किया जाएगा. इंडिया टुडे में छपे एक लेख के मुताबिक एक पूर्व चुनाव आयुक्त ने हाल ही में कहा कि मशीनों के साथ छेड़छाड़ की कोई आशंका नहीं है. मगर उन्होंने चुनाव आयोग को यह सलाह नहीं दी कि वह तमाम शंकाओं को दूर करे.

इन मुद्दों पर है पड़ताल की जरुरत

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के संस्थापक चेयरमैन और आईआईएम बंगलौर के प्रोफेसर त्रिलोचन शास्त्री ने इंडिया टुडे में छपे अपने लेख में लिखा है कि दो मुद्दों पर पड़ताल की जरूरत है. पहला कि चुनावों में फर्जीवाड़े की आशंका. जैसे ईवीएम को ले जाते समय छेड़छाड़ आदि. इसके अलावा एक थ्योरी यह भी है कि मतदान का समय खत्म होने के बाद भी अतिरिक्त वोट डाले गए, क्योंकि कुछ लोग वोट डालने नहीं आए थे. लेकिन 2019 लोकसभा के चुनाव के आंकड़े साबित करते हैं कि चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली नहीं हुई है. अगर ऐसा होता तो मतदान प्रतिशत बहुत अधिक बढ़ जाता.

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दूसरा मुद्दा है कि अगर काई भूल-चूक हुई हो तो किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में इसका असर पड़ेगा कि नहीं. इसे लेकर कानूनी तरीका यह है कि किसी को कोई शिकायत है तो उसे याचिका दाखिल करना चाहिए. अब तक ऐसा किसी ने नहीं किया है. लेकिन इसके लिए अब भी कुछ हफ्तों का वक्त बचा है. इसे लेकर आपत्ति जताने वाले दोबारा गिनती और दोबारा मतदान की मांग भी कर सकते हैं. लेकिन विजेता जश्न मनाने में मशगूल हैं, जबकि जिन्होंने सत्ताशीन पार्टी को वोट दिया है वे इन शंकाओं को सिरे से खारिज कर देते हैं.

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