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लोकसभा में उठा असम के राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का मुद्दा

सदन में कांग्रेस की सुष्मिता देव, अधीर रंजन चौधरी, माकपा के मोहम्मद सलीम को काफी मुखर होकर इस विषय को उठाते देखा गया. बीजेपी के कुछ सदस्यों को इसका विरोध करते देखा गया.

सुष्मिता देव सुष्मिता देव
केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 3:35 PM IST

लोकसभा में गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के सदस्यों ने असम में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआरसी) में काफी संख्या में नागरिकों के नाम छूटने का मुद्दा उठाया. तृणमूल कांग्रेस ने इसे प्रदेश से बांग्लाभाषी लोगों को खदेड़ने का प्रयास बताया, जिसे सरकार ने पूरी तरह खारिज कर दिया.

सदन में कांग्रेस की सुष्मिता देव, अधीर रंजन चौधरी, माकपा के मोहम्मद सलीम को काफी मुखर होकर इस विषय को उठाते देखा गया. बीजेपी के कुछ सदस्यों को इसका विरोध करते देखा गया.

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इस बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि असम में एनआरसी तैयार करने का काम उच्चतम न्यायालय की निगरानी में हो रहा है. इसमें 1.90 करोड़ लोगों का नाम प्रकाशित हुआ है.

उन्होंने कहा कि अदालत ने भी कहा है कि किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है. किसी का नाम अगर किसी कारण से छूट गया है तब वह पुन: अपील कर सकता है.

सिंह ने कहा कि यह जो आरोप लगाया जा रहा है कि कुछ लोगों को खदेड़ने का प्रयास किया जा रहा है, वह पूरी तरह से गलत है. इससे पहले शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि असम में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार किया जा रहा है. इसमें अब तक एक करोड़ 93 लाख लोगों के नाम दर्ज हुए हैं. काफी संख्या में लोगों के नाम छूट गए हैं . यह राज्य में बांग्लाभाषी लोगों के खिलाफ साजिश है.

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देनी चाहिए बांग्ला बोलने वाले लोगों को असम में रहने की अनुमति

उन्होंने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है. बांग्ला बोलने वाले लोगों को असम में रहने की अनुमति देनी चाहिए. इस विषय पर सदस्यों के शांत नहीं होने पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि यह विषय लोगों की संवेदना से जुड़ा है, वह समझती हैं. गृह मंत्री ने इस बारे में अच्छा बयान दिया है. उच्चतम न्यायालय की निगरानी में काम हो रहा है. इसलिए मंत्री के बयान के बाद परेशान होने की जरूरत नहीं है.

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