
देश की चार लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए जारी वोटिंग के बीच कुछ इलाकों में EVM में गड़बड़ी की बात सामने आई है. इसके बाद से घमासान मचा हुआ है.
जहां एक ओर समाजवादी पार्टी और आरएलडी ने साजिश के तहत EVM को खराब करने का आरोप लगाया है, तो दूसरी तरफ शिवसेना ने इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है. इसके अलावा एनसीपी ने सवाल उठाया कि आखिर EVM को गुजरात से क्यों लगाया गया?
एक टीवी चैनल से बातचीत में शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि पालघर जिले के 50 से 60 बूथों से EVM बंद होने की खबर आई है. पहले बूथ कैप्चरिंग होती थी और लोगों को बूथ जाने से रोकने के लिए डराया-धमकाया जाता था, लेकिन अब EVM की चाबी ही बीजेपी के पास आ गई है. शिवसेना के गढ़ पालघर में वोटिंग परसेंटेज कम करने के लिए जानबूझकर खराब मशीनें लगाई गई हैं.
वहीं, समाजवादी पार्टी ने कैराना और नूरपुर उपचुनाव में साजिश के तहत ईवीएम खराब करने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की है. सपा का आरोप है कि बीजेपी ने हार के डर से ईवीएम के साथ छेड़छाड़ करवाया है. सपा ने चुनाव आयोग से शिकायत करते हुए दोनों ही जगह चुनाव रद्द कराने की भी मांग की है.
कैराना लोकसभा से आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा, 'मेरे चुनाव को प्रभावित किया जा रहा है. स्थानीय प्रशासन दबाव में काम कर रहा है. दलित, मुस्लिम और जाट बहुल इलाकों में ईवीएम में गड़बड़ियां की जा रही हैं.'
तबस्सुम हसन ने आरोप लगाया कि हमारी जीत का अंतर कम करने की साजिश है. बाकी जगहों पर ईवीएम सामान्य चल रहे हैं. इस संबंध में उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिकायत भी की है.
मालूम हो कि सोमवार को उत्तर प्रदेश की कैराना, महाराष्ट्र की पालघर और भंडारा-गोंदिया के अलावा नगालैंड में एक लोकसभा सीट के लिए मतदान हो रहा है. वहीं, यूपी की नूरपुर विधानसभा सीट के साथ ही बिहार, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, पंजाब, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में कुल मिलाकर 10 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहे हैं. इन उपचुनावों के नतीजे 31 मई को आएंगे.
साख की लड़ाई बने उपचुनाव
साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ये उपचुनाव राजनीतिक पार्टियों के लिए साख की लड़ाई बन गए हैं. फूलपुर और गोरखपुर सीट गंवाने के बाद बीजेपी अब कैराना को किसी भी कीमत में खोना नहीं चाहती है, तो दूसरी ओर एकजुट विपक्षी दल बीजेपी को हरहाल में हराना चाहते हैं. यह यूपी की योगी सरकार की साख का सवाल भी है. अगर कैराना हाथ से फिसला, तो योगी के लिए पार्टी के भीतर ही जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.