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खुदकुशी के खिलाफ जागरूकता फैलाने निकली वूमन बाइकर

पहियों पर जिंदगी के फलसफे बतातीं सना यात्रा के लिए तकरीबन कम इस्तेमाल होते रास्ते चुनती हैं. उनका कहना है कि खुदकुशी किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. हर दिक्कत को निपटाया जा सकता है. युवाओं को डिप्रेशन का शिकार होने के बदले खुशियों की तलाश करनी चाहिए.

बचत से बुलेट खरीद कर किया हजारों किलामीटर का सफर बचत से बुलेट खरीद कर किया हजारों किलामीटर का सफर
केशव कुमार/मनोज्ञा लोइवाल
  • कोलकाता,
  • 15 मई 2016,
  • अपडेटेड 6:25 PM IST

अगर खुशी को जिंदगी का ईंधन कहा जाता है तो हमें पहियों पर सवार होकर चलते रहना चाहिए. इस बात को मंत्र बनाकर 28 साल की महिला बाइक लेकर पूरे देश में घूम रही हैं. अपनी इस यात्रा के साथ वह देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में खुदकुशी के खिलाफ जागरुकता फैलाती हैं. सना इकबाल नाम की यह वूमन बाइकर लोगों को हमेशा खुश रहने के फंडे भी बताती हैं.

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अब तक हजारों किलोमीटर का सफर
पहियों पर जिंदगी के फलसफे बतातीं सना यात्रा के लिए तकरीबन कम इस्तेमाल होते रास्ते चुनती हैं. उनका कहना है कि खुदकुशी किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. हर दिक्कत को निपटाया जा सकता है. युवाओं को डिप्रेशन का शिकार होने के बदले खुशियों की तलाश करनी चाहिए. अपनी बुलेट से 6 महीनों के लिए देश भ्रमण पर निकली सना कई बड़े शहरों समेत हजारों किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुकी हैं.

खुद डिप्रेशन से उबर चुकी हैं सना
जानकारी के मुताबिक सना की शादी के एक साल पूरा होने से पहले ही तलाक हो गया. एक बेटा पैदा होने पर उन्होंने कॉरपोरेट ट्रेनर की नौकरी भी छोड़ दी थी. इस वजह 27 साल की सना इस कदर परेशान हुई कि खुदकुशी के बारे में सोचने लगी थीं. उन्होंने अपने 6 महीने के बेटे को खुशी देने के लिए जिंदगी को जीने का मकसद खोज निकाला.

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पसंद के काम के लिए बचत से खरीदी बुलेट
सना ने बताया कि पहले उनके मन में कई तरह के ख्याल आए. आखिरकार बाइक की शौकीन होने की वजह से उन्होंने देश भ्रमण को चुना. अपनी बचत से पहले बुलेट खरीदी . बेटे को मां और बहन के हवाले किया. इसके बाद वह लोगों को जागरूक करने की मुहिम पर निकल पड़ीं. गोवा से शुरू हुआ उनका यह सफर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, पश्चिम बंगाल की तरफ बढ़ रहा है.

सरकार से मदद नहीं लेती हैं सना
शहरों में पहुंचने पर सना स्थानीय लोगों और स्कूल, कॉलेजों के शिक्षकों और छात्रों को सकारात्मकता का पाठ पढ़ाती हैं. वह कहती हैं कि मैं अकेली निकली हूं, अभी तक का सफर बहुत सुहाना रहा है. ब्रेकडाउन होता है, हर किसी से मिलती हूं, लोगों को समझाती हूं. यात्रा में काफी अच्छे लोग मिले हैं. शहरों में बाइकिंग ग्रुप के लोग मदद करते हैं. मैं अधिक से अधिक लोगों से मिलना चाहती हूं. डिप्रेशन के शिकार लोगों को सकारात्मक सोच देने के लिए मैं इस सफर पर निकली हूं. वह सरकार की ओर से किसी भी तरह की मदद नहीं लेती.

फेसबुक पेज पर देती हैं फ्री काउंसलिंग
मनोविज्ञान की पढ़ाई करने की वजह से उन्हें लोगों की काउंसलिंग करने में मदद मिलती है. दिन में सना बुलेट चलाती हैं. वहीं रात में अपने फेसबुक पेज suicidenoboner पर सवाल-जवाब के जरिए लोगों को समझाती हैं. वह लोगों से इसके लिए कोई फीस नहीं लेती है. उनके फेसबुक पेज पर 'सुसाइड इज नॉट ए सॉल्यूशन' लिखा हुआ है.

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हालात को ठहरकर देखने से मिलेगा समाधान
सना खुद को हैदराबाद के एक बाइकर क्लब से जुड़ा हुआ बताती हैं. उन्होंने कहा कि खुदकुशी के दर में 107 देशों की लिस्ट में भारत 11 वीं नंबर पर है. उन्होंने कहा कि भारत में यात्रा करना काफी सुरक्षित है. उनके काउंसलिंग सेशन में आई एक महिला ज्योति विश्वास ने बताया कि उन्हें डिप्रेशन से उबरने में मदद मिली है. वह खास तौर पर लोगों से हालात को ठहरकर और दूसरे शख्स की तरह देखने की अपील करती हैं.

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