मध्य प्रदेशः नहीं मिली एम्बुलेंस, 20KM दूर बाइक से ले गए अस्पताल, बच्ची की मौत

रोते हुए घनश्यान बताते हैं, 'उन्होंने (डॉक्टरों ने) मेरी बेटी को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे कामयाब न हो सके क्योंकि अस्पताल पहुंचने में काफी देर हो चुकी थी. अगर सैलाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एम्बुलेंस मिल जाती तो आज बेटी जिंदा होती.'

Advertisement
रतलाम जिले का मानचित्र रतलाम जिले का मानचित्र

वरुण शैलेश

  • भोपाल,
  • 01 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 8:25 PM IST

मध्य प्रदेश के रतलाम में वक्त से अस्पताल न पहुंचने के कारण एक चार वर्षीय लड़की की मौत हो गई. दरअसल 108 नंबर की एम्बुलेंस सेवा समय से न मिलने की वजह से बच्ची को बाइक से 20 किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाना पड़ा. 

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बच्ची को रतलाम स्थित अस्पताल ले जाना था, लेकिन एम्बुलेंस न होने की वजह से बच्ची को बाइक से अस्पताल ले जाना पड़ा. बाइक पर सलाइन ड्रिप लगी बोतल पकड़ी हुई मां बच्ची को लेकर बैठी हुई थी. दुर्भाग्य से बच्ची को बचाया नहीं जा सका. डॉक्टरों का कहना है कि यदि बच्ची समय से अस्पताल पहुंच जाती तो उसे बचाया जा सकता था.   

Advertisement

यह घटना रतलाम जिले के ननलेता गांव की है. पिता घनश्याम नाथ और मां जीनाबाई को सोमवार शाम को पता चला कि उनकी बेटी को तेज बुखार है. माता-पिता बुखार से पीड़ित बेटी को समीप के सैलाना स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने लड़की को रतलाम स्थित बच्चों के अस्पताल रेफर कर दिया.

घनश्याम दास को सैलाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एम्बुलेंस नहीं मिली, जिसकी वजह से उन्हें दूसरे की बाइक मांग कर अपनी बेटी को ले जाना पड़ा. बाइक को उनका एक रिश्तेदार चला रहा था, जबकि घनश्याम बेटी को पकड़ कर बैठे हुए थे और जीनाबाई स्लाइन ड्रिप वाला बोतल पकड़े हुए थीं.  

बीस किलोमीटर की दूरी तय कर घनश्याम बेटी को लेकर बच्चों के अस्पताल पहुंचे. रतलाम पहुंचने पर पता चला कि उनकी बेटी को न्यूमोनिया हुआ है. रोते हुए घनश्यान बताते हैं, 'उन्होंने (डॉक्टरों ने) मेरी बेटी को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे कामयाब न हो सके क्योंकि अस्पताल पहुंचने में काफी देर हो चुकी थी. अगर सैलाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एम्बुलेंस मिल जाती तो आज बेटी जिंदा होती.'

Advertisement

घनश्याम अपनी बेटी के शव को उसी बाइक से लेकर गांव वापस लौटे, लेकिन किसी ने स्लाइन ड्रिप हाथ में लिए लौटते हुए माता पिता को देख कर वीडियो शूट कर लिया. इस वीडियो के कई समूहों में साझा किए जाने के बाद यह मामला जिला प्रशासन की नजर में आया. प्रशासन ने अब मामले में जांच के आदेश दिए हैं.

एम्बुलेंस के अभाव में हुई बच्ची की मौत के लिए अभी तक किसी को जिम्मेदार नहीं बताया गया है. अफसर आरोप-प्रत्यारोप में लगे हुए हैं और सारा दोष स्वास्थ्य विभाग के माथे मढ़ रहे हैं.

वहीं मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि राज्य के हरेक गांव के 108 नंबर के जरिये एम्बुलेंस की सुविधा का लाभ फौरन उठा सकते हैं जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों का कहना है कि वह एम्बुलेंस मुहैया कराने की कोशिश करते हैं मगर उस दिन यह मुमकिन नहीं हो पाया.

यह ऐसा पहला मामला नहीं है जब सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के दावों पर विफल रही हो, इससे पहले भी डॉक्टरों की कमी की वजह से राज्य के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement