
मद्रास हाई कोर्ट ने आज गुरुवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्वागत के लिए बैनर लगाने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने अपने फैसले में चेन्नई एयरपोर्ट से महाबालीपुरम तक तमिलनाडु और केंद्र सरकार को शी जिनपिंग के स्वागत के लिए बैनर लगाने की इजाजत दी है.
हाई कोर्ट ने कहा कि इजाजत की जरूरत नहीं है, क्योंकि पाबंदी सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के लिए है. AIADMK ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि जनता को असुविधा नहीं होगी और बैनर खतरा पैदा नहीं करेंगे. कोर्ट ने कहा कि जनता को असुविधा नहीं होनी चाहिए. हालांकि सरकार के कदम की डीएमके ने विरोध किया है.
क्या है मामला?
पिछले महीने चेन्नई में 23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुबाश्री अपनी स्कूटी पर सवार होकर जा रही थी. तभी उनके ऊपर गैरकानूनी तरीके से सड़क पर लगा होर्डिंग गिर गया था, जिसके चलते वो वाटर टैंकर की चपेट में आ गई थीं. इस घटना में सुबाश्री की मौत हो गई. इस गैरकानूनी होर्डिंग को पूर्व पार्षद जयगोपाल के बेटे की शादी समारोह को लेकर लगाया गया था. इसके बाद से राज्य में होर्डिंग लगाने को लेकर सवाल उठने लगे थे.
होर्डिंग की वजह से गिरने पर वाटर टैंकर की चपेट में आने से सुब्राश्री की मौत हो गई थी, तो पुलिस ने वाटर टैंकर के चालक को गिरफ्तार किया था. मृतक सुबाश्री चेन्नई के क्रोमपेट की रहने वाली थी. यह हादसा उस समय हुआ था, जब वो अपने घर जा रही थी. हालांकि पुलिस के मुताबिक इस हादसे के दौरान सुबाश्री ने हेलमेट नहीं पहन रखा था.
जमानत पर रिहा आरोपी
बाद में 28 सितंबर को सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुबाश्री की मौत मामले में गिरफ्तार चारों आरोपी जमानत पर रिहा हो गए. जमानत पर रिहा होने वाले आरोपियों की पहचान पलानी, सुब्रामणि, शंकर और लक्ष्मीकांत के रूप में हुई. इन लोगों ने एआईएडीएमके के पदाधिकारी सी जयगोपाल के कहने पर चेन्नई की सड़कों पर बैनर लगाए थे. इस मामले में पुलिस ने जयगोपाल के खिलाफ भी केस दर्ज कर रखा है .
होर्डिंग की वजह से सुबाश्री की मौत के बाद मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और चेन्नई कॉरपोरेशन को गैरकानूनी होर्डिंग हटाने में नाकाम अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश भी दिया था. साथ ही हाई कोर्ट ने सुबाश्री के परिजनों को 5 लाख रुपये मुआवजे देने का भी निर्देश दिया था. हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि गैरकानूनी होर्डिंग को हटाने में नाकाम रहने वाले अधिकारियों से मुआवजा का पैसा वसूला जाएगा.