Advertisement

महाराष्ट्रः किसानों के आगे झुकी सरकार, अधिकतर मांगें मानने पर आंदोलन खत्म

मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि कृषि उपयोग में लाई जाने वाली वन भूमि आदिवासियों और किसानों को सौंपने के लिए हम समिति बनाने पर सहमत हो गए हैं. 

आंदोलन में शामिल किसान आंदोलन में शामिल किसान
राहुल विश्वकर्मा
  • मुंबई,
  • 12 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST

पिछले 6 दिनों में नासिक से मुंबई तक 180 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे किसानों की ताकत के आगे आखिरकार फडणवीस सरकार को झुकना पड़ा. सोमवार शाम को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसान नेताओं से 3 घंटे तक चली मुलाकात के बाद कहा कि किसानों की अधिकतर मांगें मान ली गई हैं. फॉरेस्ट लैंड के मामले में मंत्रियों का एक समूह अगले 6 महीने में फैसला लेगा. सरकार से इस पर लिखित आश्वासन मिलने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया.

Advertisement

इसके बाद सरकार ने किसानों के घर लौटने के लिए दो स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम किया. किसानों से बातचीत के बाद राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि किसानों की सभी मांगों को स्वीकार किया जा रहा है. माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी की मौजूदगी में उन्होंने दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में धरना दे रहे किसानों को संबोधित भी किया.

वहीं विधान भवन के बाहर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि कृषि उपयोग में लाई जाने वाली वन भूमि आदिवासियों और किसानों को सौंपने के लिए हम समिति बनाने पर सहमत हो गए हैं. विधान भवन में किसानों और आदिवासियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई. हम कृषि भूमि आदिवासियों को सौंपने के लिए समिति बनाने पर सहमत हो गए हैं, बशर्ते वे 2005 से पहले जमीन पर कृषि करने के सबूत मुहैया कराएं. हमने उनकी लगभग सभी मांगें मान ली हैं. इससे पहले फडणवीस ने कहा था कि उनकी सरकार किसानों के मुद्दे के प्रति संवेदनशील और सकारात्मक है.

Advertisement

किसानों के लंबे मार्च पर विधानसभा में चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि इसमें हिस्सा लेने वाले करीब 90 से 95 फीसदी लोग गरीब आदिवासी हैं. वे वन भूमि पर अधिकार के लिए लड़ रहे हैं. वे भूमिहीन हैं और खेती नहीं कर सकते. सरकार उनकी मांगों के प्रति संवेदनशील और सकारात्मक है. महाराष्ट्र के कई हिस्सों में सूखे की स्थिति है और गांवों में कर्ज के चलते लोग आत्महत्याएं करते हैं.

उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों की मांगों पर चर्चा करने के लिए एक मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया गया है. हम उनकी मांगों को समयबद्ध तरीके से हल करने का निर्णय करेंगे.

बीते 6 दिन से ये किसान हर सुबह चलना शुरू कर देते थे. रास्ते में गांव वाले दोपहर का खाना खिला देते थे. थोड़ा सुस्ताने के बाद ये फिर चल पड़ते. जहां रात हुई वहीं खुले आसमान के नीचे मरे हुए सपनों की गठरी सिरहाने रखकर सो गए और भोर हुई तो उदास मौसम के खिलाफ फिर मोर्चा खोल चल पड़ते. किसानों की इस लड़ाई में थक जाने का विकल्प ही नहीं था. उदास मौसम के मुहाने पर बैठा किसानों का यह मोर्चा अब मुंबई शहर से अपने अस्तित्व की शिनाख्त मांग रहा.

माकपा नेता अशोक धावले ने कहा कि किसान स्वामीनाथन समिति की अनुशंसा को लागू करने की भी मांग कर रहे हैं, जिसने कृषि लागत मूल्यों से डेढ़ गुना ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की अनुशंसा की है.

Advertisement

किसान नासिक, ठाणे और पालघर जिले में नदियों को जोड़ने की योजना में बदलाव की भी मांग की है, ताकि आदिवासियों की जमीन नहीं डूबे और इस योजना से जल इन इलाकों और अन्य सूखाग्रस्त जिलों को मुहैया कराई जा सके.

किसान हाई स्पीड रेलवे और सुपर हाईवे सहित परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण करने का भी विरोध कर रहे थे. किसानों का समर्थन कांग्रेस, राकांपा, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना भी कर रही थी जो राज्य और केंद्र में भाजपा नीत सरकार में शामिल है. मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने रविवार को किसानों से मुलाकात की थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement