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गोरखपुर, फर्रुखाबाद के बाद अब नासिक के अस्पताल में अगस्त में 55 नवजातों की मौत

जगदले ने कहा, ‘‘इनमें से अधिकतर मौतें निजी अस्पतालों से शिशुओं को अंतिम स्थिति में लाए जाने के कारण हुईं और उनके बचने की गुंजाइश बहुत कम थी. समय पूर्व जन्म और श्वसन तंत्र में कमजोरी के कारण भी मौतें हुईं.’’ सिविल सर्जन ने कहा कि किसी भी मामले में चिकित्सकीय लापरवाही नहीं हुई.

अगस्त महीने में गोरखपुर में इंसेफ्लाइटिस के चलते बहुत सारे बच्चे काल के गाल से समा गए अगस्त महीने में गोरखपुर में इंसेफ्लाइटिस के चलते बहुत सारे बच्चे काल के गाल से समा गए
नंदलाल शर्मा
  • नासिक ,
  • 09 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:08 AM IST

नासिक सिविल अस्पताल के विशेष शिशु देखभाल खंड में पिछले महीने 55 शिशुओं की मौत हो गई, लेकिन प्रशासन ने चिकित्सकीय लापरवाही के कारण मौत होने से इनकार किया है. नासिक के सिविल सर्जन सुरेश जगदले ने फोन पर बताया कि अप्रैल के बाद से खंड में 187 शिशुओं की मौत हुई. पिछले महीने 55 शिशुओं की जान गई.

फर्रुखाबाद में ऑक्सीजन-दवा की कमी से 49 बच्चों की मौत

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जगदले ने कहा, ‘‘इनमें से अधिकतर मौतें निजी अस्पतालों से शिशुओं को अंतिम स्थिति में लाए जाने के कारण हुईं और उनके बचने की गुंजाइश बहुत कम थी. समय पूर्व जन्म और श्वसन तंत्र में कमजोरी के कारण भी मौतें हुईं.’’ सिविल सर्जन ने कहा कि किसी भी मामले में चिकित्सकीय लापरवाही नहीं हुई.

उन्होंने कहा, ‘‘18 इनक्यूबेटर हैं और हमें जगह के अभाव में दो कभी-कभी तीन बच्चों को एक ही इनक्यूबेटर में रखना पड़ता है.’’ स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत ने कहा, ‘‘यह तथ्य है कि शिशुओं को अंतिम स्थिति में सरकारी अस्पताल लाया गया.’’ उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी अस्पतालों में जल्द ही एक ‘‘प्रोटोकॉल’’ का पालन होगा.

गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फर्रुखाबाद में दर्जनों बच्चों की मेडिकल लापरवाही के चलते मौत हो गई. बच्चों की मौत पर खूब सियासी घमासान मचा. गोरखपुर में बच्चों की मौत के लिए ऑक्सीजन की कमी को जिम्मेदार बताया गया, लेकिन प्रशासन ने इससे इंकार किया.

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