
महात्मा गांधी की 150 जयंती पर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को कांग्रेस और बीजेपी पर निशाना साधते हुए 2 ट्वीट किए हैं. मायावती ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि नीति आयोग की स्कूली शिक्षा संबंधी रैंकिंग के मामले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड देश में सबसे निचले पायदान पर हैं और इसके लिए जिम्मेदार कौन है.
मायावती ने शिक्षा की बदहाली पर बरसते हुए कहा कि नीति आयोग की स्कूली शिक्षा संबंधी रैंकिंग के मामले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड देश में सबसे निचले पायदान पर हैं और इसके लिए जिम्मेदार कौन है. देश और प्रदेश में सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली पार्टियां खासकर कांग्रेस और बीजेपी आज गांधी जयंती के दिन क्या जनता को जवाब दे पाएंगी कि ऐसी शर्मनाक जनबदहाली क्यों.
मायावती का शिक्षा व्यवस्था पर हमला ऐसे समय आया जब पिछले दिनों नीति आयोग की ओर से तैयार 'स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स' में 20 बड़े राज्यों की रैंकिंग में उत्तर प्रदेश सबसे निचले पायदान पर है जबकि केरल पहले नंबर, राजस्थान दूसरे और कर्नाटक तीसरे स्थान पर आया. इस इंडेक्स में बड़े राज्यों में झारखंड 16वें और बिहार 17वें स्थान पर है.
मायावती ने अपने दूसरे ट्वीट में एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीजेपी की वर्तमान और कांग्रेस की पिछली सरकारों पर निशाना साधा. पूर्व सीएम मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी कानून 1989 के प्रावधानों को पुनः बहाल करते हुए कल अपने फैसले में दलित समाज की कड़वी जीवन वास्तविकताओं और संघर्षों के संबंध में जो तथ्य सत्यापित किए हैं वे खासकर सत्ताधरी बीजेपी और कांग्रेस के दलित प्रेम की पोल खोलते हैं. देश और समाज की जागरुकता जरूरी.
सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति (उत्पीड़न से संरक्षण) 1989 कानून के तहत अपने पहले के फैसले को दरकिनार कर दिया. उस फैसले में इस कानून के तहत अभियुक्त की गिरफ्तारी से पहले जांच की बात कही गई थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा कोई निर्देश पारित नहीं किया जाना चाहिए था.
अदालत ने उन दिशा-निर्देशों को याद किया, जिसमें सरकारी कर्मचारी और निजी व्यक्तियों की गिरफ्तारी के लिए पूर्व मंजूरी दी गई थी. अदालत ने एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत पर जोर दिया था. अब एससी-एसटी एक्ट के तहत किसी की भी बिना जांच, सीधे गिरफ्तारी हो सकती है.