
सुप्रीम कोर्ट ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट का इस याचिका पर कहना था कि, महात्मा गांधी की हत्या में शामिल शख्स की पहले ही पहचान हो चुकी है. अब इस मामले में बहुत देर हो चुकी है. हम इसकी दोबारा जांच नहीं कराएंगे.
बता दें, ये याचिका डॉ. पंकज फडनीस की ओर से दाखिल की गई थी. उनका कहना था कि, महात्मा गांधी की हत्या पर पड़ा पर्दा हटना चाहिए. ये तथ्यों को गुप्त रखने की कोशिश है. पंकज फडनीस की थ्योरी थी कि गांधी की हत्या चार गोलियां मार कर हुई थी.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और सीनियर वकील अमरेन्द्र शरण को न्याय मित्र नियुक्त किया था. इस याचिका में गांधी हत्याकांड में ‘तीन बुलेट की कहानी’ पर प्रश्न चिह्न लगाने के साथ यह सवाल भी उठाया गया था कि क्या नाथूराम गोडसे के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने चौथी बुलेट भी दागी थी?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी जरूरी कागजातों की जांच करने वाले वकील अमरेंद्र सरन ने कोर्ट में जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि बापू की हत्या करने में नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और के होने के सबूत नहीं मिले हैं. उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि जिस फॉर बुलेट थ्योरी की बात होती है उसका भी कोई सबूत नहीं है.
उर्दू में दर्ज एफआईआर में है पूरी वारदात का जिक्र
30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी की हत्या हुई थी, बापू की हत्या की एफआईआर उसी दिन यानी 30 जनवरी को दिल्ली के तुगलक रोड थाने में दर्ज की गई थी. एफआईआर उर्दू में लिखी गई थी जिसमें पूरी वारदात के बारे में बताया गया था.
दिल्ली के तुगलक रोड के रिकॉर्ड रूम में आज भी वो एफआईआर संभाल कर रखी गई है, एफआईआर को बाकायदा लेमिनेशन करवा कर रखा गया है, अगर कभी भी बापू की हत्या का मामला फिर से खुलता है और जांच नए सिरे से शुरू होती है तो इसी एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की जाएगी.