
शोपियां में सेना के मेजर आदित्य के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर का मामला सुप्रीम कोर्ट में है. सोमवार को सर्वोच्च अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर सरकार ने कोर्ट को बताया है कि जो एफआईआर दर्ज की गई थी, उसमें मेजर आदित्य का नाम नहीं है. हालांकि, सरकार ने कहा है कि अगर जांच में कुछ सामने आता है तो नाम दर्ज किया जा सकता है.
जम्मू-कश्मीर सरकार ने कोर्ट से कहा है कि जहां पर किसी आरोपी का नाम आता है उस जगह को अभी खाली रखा गया है, लेकिन अगर जांच के बाद किसी का नाम आता है तो उसे शामिल किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि एफआईआर किसी नाम के खिलाफ नहीं बल्कि 44 आरआर (कंपनी) के खिलाफ दर्ज की गई थी.
कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने एफआईआर का विरोध किया. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि किसी भी तरह की एफआईआर से पहले केंद्र सरकार से बात की जानी चाहिए थी. आने वाली 24 अप्रैल तक अब इस मामले में मेजर आदित्य के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा. गौरतलब है कि मेजर आदित्य के पिता के द्वारा ही एफआईआर दर्ज किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर सरकार से सीधा सवाल किया कि क्या मेजर आदित्य का नाम बाद में एफआईआर में शामिल होगा. तो राज्य सरकार ने कहा कि ये जांच पर निर्भर करता है. तब तक मेजर आदित्य के खिलाफ किसी भी तरह का एक्शन नहीं लिया जाएगा. जम्मू-कश्मीर की सरकार ने कहा है कि किसी के भी पास किसी को मारने का लाइसेंस नहीं है. इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वहां पर कई सैनिकों को भी मारा जाता है.
गौरतलब है कि जनवरी 2018 में जम्मू-कश्मीर के शोपियां के गानोपोरा गांव में सेना के काफिले पर भीड़ ने हमला कर दिया था, जिसके बाद सेना की जवाबी फायरिंग में दो युवा प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी और आठ प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे. इस मामले में पुलिस ने सेना के मेजर आदित्य और 10 गढ़वाल राइफल के एक जवान के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया है.
मामले के तूल पकड़ने के बाद राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि रक्षामंत्री से बात करने के बाद ही सेना के अफसर पर केस दर्ज किया गया. साथ ही मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं, जिसकी रिपोर्ट 20 दिनों में आएगी.