Advertisement

NAVY ने दिए 16 'मेड इन इंडिया' एंटी सबमरीन युद्धपोत के ऑर्डर

हाल के दिनों में ओपन टेंडर के जरिए रक्षा सौदे का यह तीसरा अवसर है. हाल ही में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड को दो डाइविंग सपोर्ट वेसल के लिए 2,020 करोड़ रुपये का ठेका मिला था.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
आशुतोष कुमार मौर्य
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 6:21 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना 'मेक इन इंडिया' रंग लाती दिख रही है. भारतीय नौसेना ने 16 स्वदेश निर्मित पनडुब्बी रोधी युद्धपोत के लिए भारत सरकार के पोत कारखानों को 12,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया है.

रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने आजतक को बताया, "12,000 करोड़ रुपये की निविदाएं जारी की गई थीं, जिसके लिए जहाजरानी मंत्रालय के अधीन चलने वाली कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और रक्षा मंत्रालय के अधीन चलने वाली गार्डेन रीच शिपयार्ड लिमिटेड ने सबसे कम राशि का बिड लगा हासिल कर लिया."

Advertisement

हाल के दिनों में ओपन टेंडर के जरिए रक्षा सौदे का यह तीसरा अवसर है. हाल ही में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड को दो डाइविंग सपोर्ट वेसल के लिए 2,020 करोड़ रुपये का ठेका मिला था.

पनडुब्बी रोधी युद्धपोत (ASW) सौदे के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने जहां सबसे कम राशि की बिड दी थी, वहीं गार्डेन रीच शिपयार्ड लिमिटेड ने दूसरा न्यूनतम राशि का बिड डाला था.

रक्षा सौदा प्रक्रिया के तहत तकनीकी मानकों को पूरा करने वाली जो कंपनी किसी खास वेपन सिस्टम के लिए न्यूनतम राशि की बिड पेश करती है, उसी को ठेका दिया जाता है.

ओपन टेंडर सिस्टम में जब प्राइवेट कंपनियों को भी एंट्री दी जाती है तो आम तौर पर माना जाता है कि प्राइवेट कंपनियां ही सबसे कम राशि की बिड पेश करेंगी, लेकिन अब यह अवधारणा बदल रही है. हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब प्राइवेट शिपयार्ड कंपनियों ने नेवी और कोस्ट गार्ड के कई प्रोजेक्ट पूरे करने में विलंब किया और कई मामलों में तो प्रोजेक्ट में कई वर्ष की देरी हुई.

Advertisement

वहीं सरकारी शिपयार्ड कंपनियों ने हाल के दिनों में शानदार प्रदर्शन किया. गोवा शिपयार्ड लिमिटेड को सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये के चार तलवार-क्लास फॉलो-ऑन युद्धपोतों के निर्माण के लिए रूसी कंपनियों के साथ साझेदारी की अनुमती दी थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement