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मिशन 2019: मोदी सरकार के खिलाफ मेगा रैली में विपक्षी दलों को ममता का निमंत्रण

केंद्र की मोदी सरकार और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जनवरी 2019 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बड़ी रैली करने जा रहीं हैं.

ममता ने सोनिया और राहुल से की मुलाकात ममता ने सोनिया और राहुल से की मुलाकात
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 6:18 PM IST

असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के मसौदे के जारी होने के बाद मचे सियासी घमासान के बीच पंश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चार दिवसीय दिल्ली दौरे पर हैं. इस बीच उन्होने NRC के मुद्दे पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर अपनी चिंता व्यक्त की. वहीं ममता बनर्जी ने विपक्ष के कई बड़े नेताओं से भी मुलाकात की है.

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ममता बनर्जी केंद्र सरकार और बीजेपी के खिलाफ जनवरी 2019 में एक बड़ी रैली करने जा रहीं हैं. यह रैली ममता के 'बीजेपी भगाओ, देश बचाओ' अभियान की एक कड़ी है. जिसके तहत ममता गैर बीजेपी दलों को एक मंच पर इकट्ठा करना चाहती है.

बुधवार को ममता बनर्जी यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी से उनके आवास 10 जनपथ पर मुलाकात कर उन्हें इस रैली में शामिल होने का न्यौता दिया. 10 जनपथ पर ही ममता बनर्जी की मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी हुई.

बता दें कि इसी क्रम में ममता बनर्जी ने मंगलवार को एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और उनकी बेटी व एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले से भी मुलाकात की थी. इसी के साथ ममता ने वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्य सभा सांसद राम जेठमलानी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से भी मुलाकात की थी.

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बुधवार को ममता बनर्जी ने संसद भवन में विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात की. यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से मुलाकात के पहले कांग्रेस के रणनीतिकार और राज्य सभा सांसद अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद ने भी ममता से मुलाकात की है. जिसके बाद उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा से भी मुलाकात की. सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ममता की मुलाकात आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात करेंगी.

गौरतलब है कि ममता बनर्जी बीजेपी के खिलाफ 2019 लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन बनाने के उद्देश्य से सभी विपक्षी दलों से संपर्क साध रहीं हैं. पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बढ़ते दखल से ममता परेशान हैं. हाल ही में संपन्न पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी, तृणमूल कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी. ऐसे में NRC और बंग्ला भाषी अवैध शरणार्थियों के मुद्दे पर चलने वाली ध्रुवीकरण की राजनीति से भी बीजेपी को ही फायदा होगा.

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