
मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के नेतृत्व वाली सरकार ने केंद्र से राज्य को नागरिकता (संशोधन) विधेयक के अधिकार क्षेत्र से छूट देने का अनुरोध करने का फैसला किया है. इस प्रस्तावित कानून का विरोध करने वाले पूर्वोत्तर के राज्यों में अब मणिपुर का नाम भी जुड़ गया है.
मुख्यमंत्री सचिवालय ने हाल ही में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक में राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को फैसला किया कि केंद्र से अनुरोध किया जाएगा कि वो इस प्रस्तावित कानून को लागू न करे.
मणिपुर में भाजपा की नेशनल पीपुल्स पार्टी, नगा पीपुल्स फ्रंट और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन सरकार है. लोकसभा ने 8 जनवरी को नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित किया था, जिसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के उन गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आ गए थे.
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक राज्य मंत्रिमंडल ने केंद्र और संबंधित अधिकारियों से विधानसभा द्वारा पारित मणिपुर पीपुल्स (प्रोटेक्शन) विधेयक- 2018 पारित करने को मंजूरी देने का अनुरोध करने का भी फैसला किया. जुलाई 2018 में पारित इस विधेयक में मणिपुरी और गैर मणिपुरी नागरिकों को परिभाषित किया गया है. साथ ही मूल निवासियों के हितों और पहचान की रक्षा करने के लिए उनके प्रवेश व प्रस्थान का नियमन करने का प्रावधान है. मणिपुर कांग्रेस भी नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ है. उसने मणिपुर सरकार से इस पर फैसला लेने के लिए तत्काल विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की है.