
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का बहुप्रचारित शो टॉक टू एके अब सीबीआई जांच के घेरे में है. दिल्ली सरकार पर आरोप हैं कि इस इवेंट के जरिए केजरीवाल और उनकी सरकार ने उन राज्यों में अपना प्रचार किया जहां चुनाव होने वाले हैं और आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ रही है. आरोप ये भी है कि दिल्ली सरकार ने टाक टू एके इवेंट के जरिए चुनावी राज्यों में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा किया और चुनावी हित साधने के लिए दिल्ली की जनता के टैक्स के पैसे को अपने प्रचार पर लुटाने की योजना बनाई.
टॉक टू एके दिल्ली सरकार का बहुप्रचारित आयोजन है जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीधे जनता से सोशल मीडिया और ऑनलाइन मीडिया के जरिये संवाद किया था. दावा ये था कि इस टॉक टू एके प्रोग्राम से केजरीवाल और दिल्ली सरकार का मकसद दिल्ली की जनता के सवालों का जवाब देना और उनकी समस्याओँ को सीधे सुनकर सुलझाना है. लेकिन अब जो खुलासा हुआ है उससे केजरीवाल सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
पूरे इवेंट पर आरोप लगे कि दिल्ली सरकार ने डेढ़ करोड़ से ज्यादा खर्च करने का प्लान बनाया. इसमें भी चौंकाने वाली बात ये है कि इस पूरे आयोजन का मकसद दिल्ली की जनता से संवाद करने का था लेकिन पूरा फोकस पंजाब, गोवा, गुजरात और हिमालच प्रदेश पर था. इन राज्यों के वोटरों के बीच पहुंचना और केजरीवाल के इस इवेंट को इन राज्यों में पॉपुलर बनाने के मकसद से ये आयोजन किया गया. गौरतलब है कि इन सभी राज्यों में अगले एक साल के भीतर चुनाव होने वाले हैं.
बीजेपी नेता हरीश खुराना ने कहा कि इस खुलासे के बाद कोई शक नहीं है कि दिल्ली की जनता से बात करने की आड़ में कैसे दिल्ली के पैसे को बर्बाद किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम पहले से ही ये कहते आ रहे हैं लेकिन अब ये स्पष्ट हो चुका है. केजरीवाल सरकार जवाब दे कि क्यों वो सरकारी पैसे को अपने प्रचार के लिए लुटा रहे हैं. पंजाब, गोवा, गुजरात में दिल्ली के पैसे से प्रचार क्यों किया जा रहा है. पीआर फर्म को किस आधार पर आपने वर्क आर्डर जारी किए. ये बड़ा घोटाला है जो इस सरकार के भ्रष्टाचार की निशानी है. सोशल मीडिया पर केजरीवाल के पॉपुलर होने की वजह है कि फेसबुक पर लाइक खरीदे जा रहे हैं. तीन से पांच रुपए तक एक-एक लाइक का पैसा दिया जा रहा है इस झूठ से भी पर्दा उठ चुका है.
आजतक के पास इस पूरे आयोजन का मसौदा मौजूद है जिसे दिल्ली सरकार के प्रचार निदेशालय ने तैयार किया था. साथ ही इसे पीआर एजेंसी परफेक्ट रिलेशन के जरिए अंजाम दिया गया था. सरकारी दस्तावेंजों के मुताबिक जो खुलासा हुआ है वो चौंकाने वाला है, क्योकि इसमें साफ-साफ लिखा है कि टॉक टू एके इवेंट का फोकस दिल्ली के अलावा गोवा, गुजरात और पंजाब में रखा जाए. इन राज्यों के 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के बीच टॉक टू एके को पॉपूलर किया जाए . आपको बता दें ये वही राज्य हैं जहां आने वाले महीनों में चुनाव होने हैं और आम आदमी पार्टी पूरी तैयारी के साथ इन चुनावों में उतर रही है.
डायरेक्टोरेट आफ इन्फोर्मेशन एंड पब्लिसिटी के नोट के मुताबिक 17 जुलाई को होने वाले टाक टू एक इवेंट के लिए दो हिस्सों में कैंपेन चलाने की बात थी. पहला कैंपेन, इवेंट के पहले 8 से 17 जुलाई 2016 तक होना था और दूसरा टॉक टू एके के बाद यानी 17 से 23 जुलाई तक तय था. इस कैंपेन के ज़रिए फेसबुक, गूगल, यू ट्यूब जैसे सोशल प्लेटफार्म के ज़रिए करोड़ो लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया. फेसबुक कैंपेन को दिल्ली के अलावा पंजाब, गोवा और गुजरात में लांच करने की बात लिखी गई है जबकि पोस्ट इवेंट कैंपेन को गूगल, यूट्यूब और फेसबुक के जरिए देशभर में प्रचारित करने की बात दर्ज है.
दिल्ली सरकार के नोट के मुताबिक पीआर एजेंसी परफेक्ट रिलेशन को डिप्टी सीएम की तरफ से डिजिटल मीडिया में टॉक टू एके इवेंट को पॉपुलर बनाने के लिए तुरंत कैंपेन शुरु करने के लिए कहा गया था. साथ ही पीआर एजेंसी ने इस पूरे कैंपेन के खर्च की लागत एक करोड़ 58 लाख 75 हजार रुपए तय की थी. हालांकि इस लागत को बाद में एक करोड़ पांच लाख रुपए कर दिया गया था.
कैंपेन की योजना से पता चलता है कि इवेंट का मकसद सिर्फ दिल्ली की जनता से संवाद करने तक सीमित नहीं था, बल्कि निशाना वो राज्य थे, जहां आम आदमी पार्टी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं कुलाचें भर रही है. इस प्लान के मुताबिक टॉक टू एके इवेंट के पहले चलाए जाने वाले कैंपेन में टारगेट ऑडिएंस दिल्ली गुजरात, गोवा, पंजाब और हिमाचल के अठारह साल से ज्यादा के लोग थे. यानी ऐसे लोग जो वयस्क हों और वोट दे सकते हों.
सीपीसी ऑन बूस्ट पोस्ट, वेबसाइट प्रमोशन और डिस्प्ले एड के जरिए करीब पौने दो लाख लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया. फेसबुक के हर लाइक के लिए तीन से छह रुपए की कीमत रखी गई और दस दिनों के लिए छह लाख रुपए रोज़ का खर्च तय किया गया. इसके ज़रिए बीस लाख लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया. यू ट्यूब पर विज्ञापन के लिए टाक टू एके इवेंट के पहले 25 लाख रुपए का खर्च तय किया गया. इसके जरिए 20 लाख लोगों तक पहुंचने का उद्देशय था. यूट्यूब पर हर व्यू के लिए अस्सी पैसे खर्च किए जाने का प्रस्ताव दिया गया था. इसके लिए पैन इंडिया टारगेट रखा गया. गूगल डिस्प्ले नेटवर्क पर विज्ञापन से चालीस लाख लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया और तीन दिन में बीस लाख रुपए के खर्च का प्रस्ताव था. गूगल पर हर क्लिक के लिए दो रुपए खर्च किए गए.
टॉक टू एके इवेंट होने के बाद 18 से 23 जुलाई के बीच भी कैंपेन जोर-शोर से चलाने की योजना बनाई गई. इसमें दिल्ली के अलावा पंजाब गोवा, गुजरात और हिमाचल के 18 साल से ज्यादा के लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया. फैसबुक पर बीस लाख की लागत से करीब 60 लाख लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया.
प्रस्ताव को उपमुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद वित्त विभाग की मंजूरी के लिए भेजा गया, क्योंकि विज्ञापनों की दरें डीएवीपी रेट पर नहीं बल्कि कमर्शियल रेट पर दी गईं थीं. इस बीच अग्रिम मंजूरी के जरिए परफेक्ट रिलेशन को कैंपेन शुरु करने की इजाजत दे दी गई थी. आम आदमी पार्टी के विधायक और पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती ने सरकार का बचाव करते हुए कहा था कि टाक टू एके जनता से संवाद का आयोजन था. इसमें पैसे की कोई बर्बादी नहीं हुई. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की पहुंच दुनिया भर में है, फिर कैसे किसी राज्य विशेष में प्रचार किया जा सकता है. फेसबुक, यू ट्यूब किसी भी राज्य के लोग देख सकते हैं, देशभर के लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. आयोजन के जरिए चुनाव प्रचार करने के आरोप बेबुनियाद हैं.