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जब मनमोहन ने मांगी थी बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता, आडवाणी ने भरी थी हामी

इस चर्चा के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का एक वीडियो इन दिनों चर्चा में है, जिसमें बतौर विपक्षी नेता उन्होंने राज्यसभा में शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का मुद्दा उठाया था.

मनमोहन सिंह ने दिया था राज्यसभा में बयान (फोटो: PTI) मनमोहन सिंह ने दिया था राज्यसभा में बयान (फोटो: PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

  • नागरिकता संशोधन एक्ट पर देश में प्रदर्शन
  • चर्चा में आया मनमोहन सिंह का पुराना बयान
  • लालकृष्ण आडवाणी के सामने उठाया था मुद्दा

नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ देशभर में लोग सड़कों पर उतरे हैं. सड़क से संसद और सुप्रीम कोर्ट तक इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोला गया है. विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर आरोप लगा रही हैं कि ये कानून संविधान का उल्लंघन करता है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ है. इस चर्चा के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का एक वीडियो इन दिनों चर्चा में है, जिसमें बतौर विपक्षी नेता उन्होंने राज्यसभा में शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का मुद्दा उठाया था.

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18 दिसंबर, 2003 को विपक्ष में रहते हुए मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के सामने शरणार्थियों का मुद्दा उठाया था.

मनमोहन सिंह ने कहा था, ‘शरणार्थियों के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है, उसपर मैं कुछ कहना चाहता हूं. देश के बंटवारे के बाद बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार हुआ है. ये हमारा दायित्व बनता है कि अगर इन शरणार्थियों के साथ इस प्रकार व्यवहार किया जाता है कि उन्हें हमारे देश में शरण लेनी पड़े, तो इन सभी को नागरिकता देते हुए हमें उदार होना चाहिए. मैं उम्मीद करता हूं कि माननीय उपप्रधानमंत्री इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे.’

मनमोहन सिंह के इस बयान में अपनी बात जोड़ते हुए तब राज्यसभा डिप्टी चेयरमैन की कुर्सी पर बैठीं महिला सांसद ने कहा था, 'आडवाणी जी, पाकिस्तान में भी अल्पसंख्यक प्रताड़ित हो रहे हैं. उनका भी खयाल रखा जाना जरूरी है.'

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मनमोहन सिंह के इस बयान पर तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था, ‘मैडम, मैं उनकी (मनमोहन सिंह) बात से बिल्कुल ताल्लुक रखता हूं.’

CAB पर कांग्रेस ने उठाए सवाल तो नड्डा ने याद दिलाया मनमोहन सिंह का बयान

आपको बता दें कि मोदी सरकार के द्वारा जब नागरिकता संशोधन एक्ट को राज्यसभा में पेश किया गया था, तब भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी मनमोहन सिंह के इसी बयान का हवाला दिया था. जेपी नड्डा ने तब कहा था कि हमारी सरकार मनमोहन सिंह की बात को ही आगे बढ़ा रही है, जो कि आप (कांग्रेस) नहीं कर पाए थे.

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इस कानून के तहत पाकिस्तान-बांग्लादेश-अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू-जैन-बौद्ध-सिख-ईसाई-पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. पहले भारत की नागरिकता के लिए 11 साल का समय लगता था, लेकिन अब ये समयसीमा को 6 साल कर दिया गया है.  

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