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PM आवास से आया बुलावा और LG के लिए मनोज सिन्हा के नाम पर लग गई मुहर

गाजीपुर से सांसद रहे मनोज सिन्हा कभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे थे. मनोज सिन्हा 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे.

जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा
पॉलोमी साहा/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 7:45 PM IST

  • मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल
  • जीसी मुर्मू ने बुधवार शाम को दिया था इस्तीफा

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए एक साल पूरा हो गया है. इसी के साथ एक नई शुरुआत भी होने जा रही है. पूर्व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है. बुधवार शाम को ही मौजूदा उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने अपने पद से इस्तीफा दिया था.

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सूत्रों की मानें, तो बुधवार शाम को मनोज सिन्हा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर बुलाया गया था. करीब 6.30 बजे ही ये तय हो गया था कि उन्हें एक नई जिम्मेदारी मिलने वाली है. इसके बाद गुरुवार सुबह राष्ट्रपति भवन की ओर से ऐलान कर दिया गया कि मनोज सिन्हा को केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया गया है.

आपको बता दें कि मनोज सिन्हा की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद नेताओं में होती है. इसका कारण उनकी साफ छवि और काम करने का तरीका बताया जाता है. राजनीतिक अनुभव के अलावा मनोज सिन्हा का प्रशासनिक अनुभव भी रहा है, यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य के लिए वो विकल्प बनकर उभरे.

साथ ही मनोज सिन्हा की गिनती उन नेताओं में होती है, जो मीडिया में ज्यादा बयानबाजी नहीं करते हैं. कैबिनेट में भी उनके काम की लगातार तारीफ होती रही है. ऐसे में जम्मू-कश्मीर में जो एक राजनीतिक गैप था, उसे भरने के लिए मनोज सिन्हा को चुना गया है.

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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे एक साल हो गया है, शुरुआती साल में जीसी मुर्मू को जिम्मेदारी दी गई थी. जो कि अफसर रहे हैं, अब उन्हें दिल्ली बुलाया जा रहा है. लेकिन मनोज सिन्हा की नियुक्ति के साथ एक राजनीतिक रास्ता खुलता नजर आ रहा है. ऐसे में देखना होगा कि अगले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक हालात किस तरह बदलते हैं.

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गौरतलब है कि अभी भी कुछ राजनेता जम्मू-कश्मीर में हाउस अरेस्ट में ही हैं, हालांकि उमर अब्दुल्ला, सज्जाद लोन, फारुक अब्दुल्ला जैसे लोगों को छोड़ दिया गया है. ऐसे में अब जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने की ओर कदम बढ़ाने पर भी हर किसी की नजर है.

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