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'मंदिर-मस्जिद नहीं हमें अयोध्या में व्यापार चाहिए'

बावजूद पर्विया और भाई दूज जैसे त्योहारों के मौके पर बजार से रौनक गायब रही. जिससे व्यापारियों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा.

अयोध्या के बजारों से रोनक गायब रही अयोध्या के बजारों से रोनक गायब रही
अमित रायकवार
  • अयोध्या ,
  • 22 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

राम की नगरी अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद छाया रहता है. जिसका असर आम लोग पर सबसे ज्याद पड़ता रहा है.  यहां पर आए दिन कोई न कोई विवाद सुर्खियां बटोरता रहा है. हाल ही में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में दिवाली मनाई .  उम्मीद थी इसका बाजार पर जरूर दिखाई देगा. लेकिन पर्विया और भाई दूज जैसे पारंपरिक  त्योहारों के मौके पर अयोध्या के  बजारों से रोनक गायब रही. इससे व्यापारियों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा.

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अयोध्या के बाजार से गायब रही रोनक

आजतक संवाददाता ने त्योहार के मौके पर अयोध्या के बाजारों का जायजा लिया तो वहां से भीड़  दिखाई नहीं दी. अयोध्या के राम घाट पर चाय बेचने वाले संतोष कुमार से बताया कि 'हमें मंदिर और मस्जिद से कोई लेना देना नहीं है. हम चाहते हैं कि अयोध्या का विकास हो इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर बने जिससे व्यापार बढ़े.' व्यापार बढ़ेगा तो लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा.

अयोध्या में नहीं हुआ विकास

1992 में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था. जिससे वहां  पर राम मंदिर बनाया जा सके. अयोध्या में करीब 7000 छोटे बड़े मंदिर हैं. यहां बड़ी तादाद में यात्री आते हैं, कई धर्मशाला तो हैं लेकिन अबतक किसी बड़े होटल ना निर्माण यहां नहीं हुआ.  माणी पर्वत मार्केट में छोटी सी दुकान चलाने वाले तुलसी राम का कहना है कि 'यहां पर धर्मशाला, रोड़ और दूसरी जरुरत की चीजों का बुरा हाल है. पहले उन्हें दुरुस्त करने की जरुरत है. तभी ज्यादा तीर्थयात्री यहां पहुंचेंगे. अयोध्या की कुल जनसंख्या 70,000 है, जिसमें 80 फीसदी लोग धार्मिक गतिविधियों में लगे हैं.'

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कब बदलेगी अयोध्या की सूरत

अयोध्या के दीपोत्सव कार्यक्रम में आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 133 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का रामकथा पार्क में बटन दबाकर शिलान्यास किया था करीब 37.10 करोड़ की लागत से बंधा निर्माण के साथ इस क्षेत्र का विकास किया जाएगा.

अयोध्या को व्यापार चाहिए

हनुमान गढ़ी में दुकान चलाने वाले मोहम्मद आलम जो भगवान राम हनुमान के फोटो बेचकर अपना गुजारा चलाते हैं. उनका कहना है कि उन्हें उम्मीद है जल्द से जल्द यहां के हालात अच्छे होंगे और हम लोगों के जीवन का स्तर सुधरेगा.

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