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PM के मुरीद हुए मौलाना अबुल कलाम आजाद के पोते, बोले- सही रास्ते पर हैं मोदी

मेल टुडे के साथ बातचीत में फिरोज बख्त ने कहा, ' ये सही है कि ज्यादातर मुस्लिम मोदी को पसंद नहीं करते. लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि अब कई मुस्लिम भी मोदी को पसंद करने लगे हैं. उनमें से कई अब मोदी की सोच से इत्तफाक रखते हैं.'

फिरोज बख्त अहमद फिरोज बख्त अहमद
संदीप कुमार सिंह
  • दिल्ली ,
  • 21 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

स्वाधीनता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद के पोते फिरोज बख्त अहमद ने नरेंद्र मोदी की तारीफ की है. अहमद के मुताबिक मोदी सही रास्ते पर हैं. 'मेल टुडे' के साथ बातचीत में फिरोज बख्त ने कहा, ' ये सही है कि ज्यादातर मुस्लिम मोदी को पसंद नहीं करते. लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि अब कई मुस्लिम भी मोदी को पसंद करने लगे हैं. उनमें से कई अब मोदी की सोच से इत्तफाक रखते हैं.'

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अहमद ने हज कोटे को बढ़ाने के सरकार के फैसले की तारीफ की और गुजरात के पतंग बनाने वाले कारीगरों को मिल रही आर्थिक मदद का भी जिक्र किया. उनका कहना था कि इन कारीगरों में से ज्यादातर मुस्लिम हैं लेकिन उन्हें ये मदद धर्म के नाम पर नहीं दी गई है.

अहमद का दावा था कि पिछली सरकार के राज में अल्पसंख्यक मंत्रालय ऑक्सीजन पर था लेकिन मुख्तार अब्बास नकवी के कमान संभालने के बाद हालात बेहतर हुए हैं. उनकी राय में 'अब ये मंत्रालय पीटी ऊषा सरीखा दौड़ रहा है.' अहमद का कहना था कि मीटिंग सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई. बैठक के दौरान मोदी का कहना था कि वो हिंदुओं और मुस्लिमों के साथ बराबरी का सुलूक करेंगे.

अहमद के मुताबिक 'मोदी ने दोहराया कि वो मुस्लिमों के एक हाथ में कंप्यूटर और दूसरे हाथ में कुरान देखना चाहते हैं. हालांकि उन्होंने ये भी साफ किया कि वो तुष्टिकरण की नीति के खिलाफ हैं.'

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मोदी से मिले मुस्लिम प्रतिनिधि
फिरोज बख्त अहमद मुस्लिम मोदी से मिलने गई उलेमाओं और बुद्धिजीवियों की टीम का हिस्सा थे. टीम में अखिल भारतीय मस्जिद इमाम के अध्यक्ष इमाम उमर अहमद इलियासी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के उप-कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जमीरुद्दीन शाह और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के वीसी तलत अहमद शामिल थे.

मुस्लिम प्रतिनिधियों की बंटी राय
हालांकि मोदी से मिलने गए सभी प्रतिनिधि अहमद की राय से सहमत नहीं दिखे. प्रतिनिधिमंडल में शामिल मौलाना बिलाल अहमद बिजरौलवी ने बैठक को 'सांकेतिक' बताया. उनके मुताबिक इससे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच बढ़ती खाई पाटने में कोई खास मदद नहीं मिलेगी. बिजरौलवी मुजफ्फरपुर के शामली इलाके से ताल्लुक रखते हैं जहां दंगों के जख्म अब तक नहीं भरे हैं. मौलाना का कहना था कि बैठक से यूपी चुनाव के समीकरणों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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