
गुजरात के मोरबी में हुए हादसे में करीब 134 लोगों की जान चली गई. इस हादसे के कारण छुट्टी पर ब्रिज घूमने आए कई परिवार के परिवार ही खत्म हो गए. घटना के बाद एक तरफ मोरबी समेत पूरे देश के लोग गमजदा है तो वहीं दूसरी तरफ 9 लोगों का एक परिवार ऐसा भी है, जो एक फैसले के कारण इस हादसे का शिकार होते-होते बच गया.
ये परिवार 40 साल के मेहुल रावल का है. मेहुल का परिवार भी बाकी लोगों की तरह रविवार को छुट्टी मनाने मोरबी के केबल ब्रिज पर पहुंचा था. उनके साथ उनकी बहन, भाई, उनके दो बच्चे, एक और बहन और बहन के पति के साथ 2 भांजे भी थे. ब्रिज पर काफी भीड़ होने के बाद भी सभी ने टिकट लेकर ब्रिज के उस पास जाने का फैसला किया था, लेकिन एक फैसले ने उन सभी की जान बच गई.
दरअसल, टिकट लेने के बाद किसी तरह मेहुल के परिवार ने केबल ब्रिज से गुजरना शुरू किया. अभी उनका परिवार ब्रिज के बीचोंबीच पहुंचा ही था कि भीड़ के कारण उनके परिवार के लोग काफी ज्यादा परेशानी महसूस करने लगे. परिवार के सभी लोगों ने बीच से ही वापस लौटने का फैसला किया. उनका परिवार ब्रिज के किनारे पर पहुंचने ही वाला था कि अचानक ब्रिज टूट गया और चीख-पुकार मच गई.
इस हादसे में मेहुल के साथ ही उनके परिवार के 2 और लोग घायल हुए हैं. तीनों ही एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं. मेहुल के दाहिने पैर में गंभीर चोट लगी है और अगले दो दिनों में उनके पैर का ऑपरेशन होना है. उनके साथ अस्पताल में परिवार के सभी 8 सदस्य मौजूद हैं. अस्पताल में भर्ती मेहुल ने बताया कि अगर उनका परिवार आधे रास्ते से वापस लौटाने का फैसला नहीं लेता तो शायद उनमें से कोई भी जिंदा नहीं बचता. उन्होंने आगे कहा कि किसी ने भी भीड़ को रोकने की कोशिश नहीं की.
सांसद के 12 रिश्तेदारों की जान गई
हादसे में मारे गए लोगों में ज्यादातर छोटे बच्चे हैं. राजकोट से लोकसभा सांसद मोहन कुंदरिया के 12 रिश्तेदार भी इस हादसे में मारे गए. कुंदरिया ने न्यूज एजेंसी को बताया कि हादसे में उनके बड़े भाई के साले की चार बेटियां, उनमें से तीन के पति और 5 बच्चे मारे गए हैं.
143 साल पुराना था ब्रिज
मोरबी में हुए ब्रिज हादसे के बाद अब तक पुल से जुड़े कई खुलासे हो चुके हैं. सामने आया है कि मोरबी का 765 फुट लंबा और 4 फुट चौड़ा पुल 143 साल पुराना था. इस पुल का उद्घाटन 1879 में किया गया था. इस केबल ब्रिज को 1922 तक मोरबी में शासन करने वाले राजा वाघजी रावजी ने बनवाया था. वाघजी ठाकोर ने पुल बनाने का फैसला इसलिए लिया था, ताकि दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस से जोड़ा जा सके.
युद्ध स्तर पर चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन
रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ की 5 टीम, एसडीआरएफ की 6 प्लाटून, वायुसेना की एक टीम, सेना के दो कॉलम और नौसेना की दो टीमें लगी हैं. इनके अलावा स्थानीय लोग भी रेस्क्यू ऑपरेशन में साथ दे रहे हैं.
इधर, अटल ब्रिज पर लोगों की लिमिट तय
अहमदाबाद नगर निगम ने अटल ब्रिज पर जाने वाले लोगों की लिमिट तय कर दी गई है. अब इस पुल पर एक साथ सिर्फ 3 हजार लोग ही जा सकेंगे. बता दें कि इस ब्रिज का उद्घाटन 27 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था. अटल ब्रिज को साबरमती नदी पर एलिस ब्रिज और सरदार ब्रिज के बीच बनाया गया है. यह एक फुट ओवर ब्रिज है. इसे 74 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया है. इसे पैदल यात्री और साइकिल सवार पूर्व और पश्चिम तट के बीच आने-जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. अहमदाबाद शहर को इससे नई पहचान मिली है. अहमदाबाद के लोग बिना ट्रैफिक के यहां शांत वातावरण में रिवरफ्रंट का आनंद लेने के लिए आते हैं.