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मेघालय की खदान में रेस्क्यू के 74 दिन, मिला एक और मजदूर का कंकाल

मेघालय में जारी यह ऑपरेशन देश का सबसे लंबा चलने वाला राहत अभियान है. अभियन के प्रवक्ता आर सुसंगी ने कहा कि पूरी तरह सड़े-गले शव को देखा गया और इसे निकालने की कोशिश हो रही है.

मौके पर बचाव अभियान (फाइल फोटो- AP) मौके पर बचाव अभियान (फाइल फोटो- AP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 10:14 AM IST

भारतीय नौसेना ने रविवार को मेघालय की खदान से एक और नरकंकाल बरामद किया है, जो कि यहां फंसे मजदूरों में से किसी एक का हो सकता है. राज्य के पूर्वी जयंतिया पर्वतीय जिले में 370 फुट गहरी कोयला खदान में पिछले साल 13 दिसंबर को 15 मजदूर फंस गए थे जिनकी खोजबीन के लिए ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

यहां के कसान इलाके में लुमथारी गांव में स्थित इस अवैध खदान के अंदर लिंटीन नदी का पानी घुस जाने से यह हादसा हुआ. इसके बाद पानी को खदान से बाहर निकालने के लिए बड़े स्तर पर ऑपरेशन चलाया गया, हालांकि 74 दिन बाद भी सभी मजदूरों को नहीं निकाला जा सकता है. अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले दो सड़े-गले शव देखे गए और इनमें से सिर्फ एक बरामद किया जा सका था.

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अभियान पर SC की नजर

मेघालय में जारी यह ऑपरेशन देश का सबसे लंबा चलने वाला राहत अभियान है. अभियन के प्रवक्ता आर सुसंगी ने कहा कि पूरी तरह सड़े-गले शव को देखा गया और इसे निकालने की कोशिश हो रही है. सुप्रीम कोर्ट इस पूरे ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए है और सोमवार को इस पर सुनवाई हो सकती है. राज्य सरकार ने खदान में फंसे मजदूरों के परिवार को एक-एक लाख रुपये की अंतरिम राहत दी है. मेघालय के गृह मंत्री ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्दशों पर यह ऑपरेशन जारी रहेगा.

करीब ढाई महीन से जारी इस ऑपरेशन में कई सरकारी एजेंसियों के 200 से ज्यादा बचावकर्मी लगे हुए हैं. इनमें नौसेना और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल के जवान भी शामिल हैं. साथ ही खदान से पानी निकालने के लिए कोल इंडिया और किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड कर्मियों को इस अभियान में शामिल किया गया है. इस ऑपरेशन की निगरानी कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने तमाम एजेंसियों को मजदूरों को जीवित या मृत बाहर निकालने का निर्देश दिया है.

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