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#MeToo मूवमेंट के बाद आरोपों के वबंडर में फंसे केन्द्रीय मंत्री एमजे अकबर रविवार को विदेश दौरे से वापस आ गये हैं. दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वे अपने ऊपर लगे आरोपों पर बाद में बयान जारी करेंगे. तकरीबन रोजाना हो रहे नये खुलासों से उनपर केन्द्रीय मंत्री की कुर्सी को छोड़ने का जबर्दस्त दबाव है. भारतीय जनता पार्टी भी विपक्ष के निशाने पर हैं, कई महिला संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मांग की है कि एमजे अकबर को अविलंब पद से हटाया जाए.
#MeToo के तहत आरोप लगते ही एमजे अकबर नाइजीरिया के दौरे पर चले गये थे. देश-दुनिया की सियासी हलचलों पर लगातार ट्वीट करने वाला उनका ट्विटर अकाउंट 6 अक्टूबर से शांत पड़ा है. पिछले 8 दिनों में उन्होंने कोई ट्वीट नहीं किया है. एमजे अकबर ने ना तो अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई दी है और ना ही अपने दौरे के बारे में उन्होंने कुछ ट्वीट किया है.
इधर मोदी कैबिनेट के कद्दावर सदस्य पर लगे आरोपों के बाद सरकार और बीजेपी बैकफुट पर है. माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व एमजे अकबर का पक्ष सुनने के बाद ही इस मामले में कोई फैसला सुनाएगी. 12 अक्टूबर को जब इस मुद्दे पर अमित शाह से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि देखना पड़ेगा कि ये आरोप सच हैं या गलत. अमित शाह ने कहा था कि पोस्ट की सत्यता जांच भी जरूरी है, जिनकी ओर से ये आरोप लगाये गये हैं. हालांकि जांच की बात पर उन्होंने कहा था कि वे इस पर जरूर सोचेंगे.
बता दें कि केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पहले ही #MeToo से जुड़े सभी मामलों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है. इस कमेटी में रिटायर्ड जज और कानूनविद बतौर सदस्य शामिल हैं. बता दें कि अबतक कई महिला पत्रकार केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगा चुकी हैं. ये घटनाएं तब की है जब एमजे अकबर एशियन एज समेत कई संस्थानों में वरिष्ठ पद पर थे.