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रक्षा मंत्रालय ने एयरफोर्स से एएन-32 एयरक्राफ्ट डील की डिटेल मांगी

इस अनुबंध के तहत यूक्रेन की कंपनी को भारतीय वायुसेना के विमान एएन-32 के लिए कल-पुर्जे की आपूर्ति करना था. पत्र में कहा गया है कि इस सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है. 17.5 करोड़ रुपये की घूस की बात सामने आई है.

निर्मला सीतारमण निर्मला सीतारमण
वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2018,
  • अपडेटेड 9:09 PM IST

रक्षा मंत्रालय ने सैन्य परिवहन विमान एएन-32 के लिए कल-पुर्जे की आपूर्ति के सौदे में कथित 'रिश्वतखोरी' से जुड़ी एक मीडिया रिपोर्ट पर भारतीय वायसेना से रिपोर्ट मांगी है. मंत्रालय ने वायुसेना से इस सौदे का विवरण मांगा है. साथ ही मंत्रालय मामले में वायु सेना के अफसरों की भूमिका की भी पड़ताल कर सकता है.

इससे पहले कांग्रेस ने सैन्य परिवहन विमान एएन-32 के लिए कल-पुर्जे की आपूर्ति के सौदे में कथित 'रिश्वतखोरी' से जुड़ी एक मीडिया रिपोर्ट को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि इस पर सरकार उच्चतम स्तर से जवाब दे. राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार को रक्षा मंत्रालय के ‘भ्रष्ट अफसरों’ के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए.

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क्या है मामला

एक अंग्रेजी दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर रिश्वतखोरी के मामले की जांच में मदद मांगी है. इस पत्र में कहा गया है कि भारत के रक्षा मंत्रालय और यूक्रेन की कंपनी 'स्पेट्स टेक्नो एक्सपोर्ट' के बीच 26 नवंबर, 2014 को एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किया गया. इस अनुबंध के तहत यूक्रेन की कंपनी को भारतीय वायुसेना के विमान एएन-32 के लिए कल-पुर्जे की आपूर्ति करना था. पत्र में कहा गया है कि इस सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है. 17.5 करोड़ रुपये की घूस की बात सामने आई है.

राहुल बोले- कार्रवाई करे मोदी सरकार

राहुल ने अंग्रेजी दैनिक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट किया, 'रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों पर एएन-32 सौदे में दुबई के रास्ते यूक्रेन की सरकार से लाखों डॉलर की घूस लेने का आरोप लगा है.' मोदीजी, आप एक स्वघोषित चौकीदार हैं. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप रक्षा मंत्रालय के अपने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें.

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कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा, 'बीजेपी सरकार शीर्ष स्तर से यह जवाब दें कि क्या यूक्रेन की ओर से ऐसा कोई पत्र लिखा गया? क्या यह बात सही है कि अनुबंध की शर्तें पूरी नहीं होने के बावजूद उस कंपनी के साथ समझौता किया गया और इसकी एवज में 17.5 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई? यूक्रेन की ओर से भेजे गए खत पर क्या कार्रवाई की गई? पत्र को संज्ञान में लेने के बाद क्या इस मामले में कोई जांच शुरू हुई है?'

उन्होंने आगे पूछा, 'न खाता हूं और न खाने दूंगा की बात करने वाली सरकार ने इस मामले को सार्वजनिक क्यों नहीं किया?' कांग्रेस नेता ने कहा, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को इस पर बोलना चाहिए, क्योंकि यह उनके मंत्रालय से जुड़ा मामला है.

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