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नाबालिग से रेप की घटनाओं में पीड़ितों को मदद के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि 99 फीसदी नाबालिग रेप पीड़ितों को मुआवजा ही नहीं मिलता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हैरान करने वाली बात है. 96 फीसदी नाबालिग रेप पीड़िताओं को पर्सनल सपोर्ट नहीं मिलता.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से कहा कि पॉक्सो से संबंधित सभी मामलों का निपटारा एक साल के भीतर हो, ये सुनिश्चित होना चाहिए, इसके लिए अतिरिक्त कोर्ट्स बनाई जाएं.
क्या है पॉक्सो एक्ट?
प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012, बच्चों के खिलाफ बढ़े रहे यौन मामलों की संख्या को लेकर साल 2012 में विशेष कानून बनाया गया था. पॉक्सो एक्ट को लाने का मकसद लैंगिक अपराध से बच्चों को संरक्षण प्रदान करना है.
18 से घटाकर 12 साल उम्र
इस कानून के माध्यम से नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है. इससे पहले इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ हुए अत्याचार के लिए इस कानून का इस्तेमाल किया जाता था. अब यह उम्र 18 से घटाकर 12 कर दी गई है. बता दें कि इससे पहले भारत में यौन अपराधों के लिए कोई अलग से कानून नहीं था.
साल 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है, जिसका सख्ती से पालन किया जाना भी सुनिश्चित किया गया है.