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पठानकोट हमले के दो आतंकियों के लापता होने की पाकिस्तान में दर्ज हुई थी FIR

पठानकोट हमले के चार में से दो आतंकियों के गुमशुदा होने की रिपोर्ट पाकिस्तान के पुलिस स्टेशनों में दर्ज कराई  गई थी. हमले की जांच के सिलसिले में भारत आए पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल ने खुद इस बात को माना था.

पठानकोट हमले को जेआईटी ने बताया था ड्रामा पठानकोट हमले को जेआईटी ने बताया था ड्रामा
मोनिका शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 06 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 10:00 AM IST

पाकिस्तान ने दावा किया था कि पठानकोट में हुए आतंकी हमले में PAK के लिंक को साबित करने में भारत नाकाम रहा लेकिन अब पाकिस्तान का दोहरा रवैया सामने आ रहा है. दरअसल पठानकोट हमले के लिए पिछले हफ्ते भारत दौरे पर आए पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने माना था कि आतंकी हमले में मारे गए दो आतंकियों के माता-पिता ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

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जेआईटी ने चेक किए थे आतंकियों के रिकॉर्ड
अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के मुताबिक जेआईटी ने राष्ट्रीय जांच दल (एनआईए) को बताया था कि एयरबेस पर हमला करने वाले चार आतंकियों में से दो आतंकी अपने घर से लापता थे. यहां तक कि उनके अभिभावकों ने पाकिस्तान के पुलिस स्टेशनों में उनकी गुमशुदगी की शिकायत भी की थी. पाकिस्तानी जांचकर्ताओं ने भारत आने से पहले इन आतंकियों के रिकॉर्ड भी खंगाले थे.

एनआईए ने जैश-ए-मोहम्मद के इन चार आतंकियों की पहचान नासिर हुसैन, हाफिज अबु बकर, उमर फारुक और अब्दुल कयूम के तौर पर की थी. ये सभी पाकिस्तान में पंजाब और सिंध के रहने वाले थे.

जैश के तीन हैंडलर गिरफ्तार
अंग्रेजी अखबार को सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जेआईटी ने एनआईए को बताया था कि उनमें से दो आतंकी पठानकोट हमले से बहुत पहले ही लापता हो गए थे और ये इसका सबसे बड़ा सबूत है कि हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई. जेआईटी ने भारतीय अधिकारियों को बताया कि लाहौर में जैश के तीन प्रबंधकों को गिरफ्तार किया गया है और पाकिस्तान मीडिया में उनके नाम खालिद मोहम्मद, इरशादुल हक और मोहम्मद शोएब के तौर पर सामने आए हैं. इस बात की आशंका है कि पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वाले चारों आतंकियों को इन तीनों ने ही सीमा तक पहुंचाया और जरूरी सामान उपलब्ध कराया था.

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एनआईए ने दिए थे कई अहम सबूत
एनआईए ने जेआईटी को पठानकोट हमले से जुड़े अहम सबूत दिए थे और जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, उसके भाई अब्दुल रौफ, काशिफ जान और शाहिद लतीफ समेत कई अन्य को गिरफ्तार करने के लिए कहा था. उपलब्ध कराए गए सबूतों में कॉल रिकॉर्ड्स, तकनीकी और फॉरेंसिक सबूत, डीएनए सैंपल, एफआईआर की कॉपियां और गवाहों के बयान शामिल थे.

शवों की शिनाख्त से किया था इनकार
जेआईटी हमले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शामिल भारतीय सेना, वायुसेना और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी) के अधिकारियों से पूछताछ करना चाहती थी लेकिन भारतीय अधिकारी इसके लिए राजी नहीं थे. एनआईए ने जेआईटी से कहा था कि वो चाहे तो पंजाब के शवगृह जाकर आतंकियों के शव की शिनाख्त कर सकती है लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया.

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