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पाक महिला से की शादी, ऐसे अलगावगादी नेता बना यासीन मलिक

केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू- कश्मीर लिबरेशन फ्रंट(JKLF) पर बड़ी कार्रवाई की है. सरकार ने इस अलगाववादी संगठन पर बैन लगा दिया है. अधिकारियों के मुताबिक JKLF पर बैन आतंकवाद विरोधी कानून के तहत हुआ है.

यासीन मलिक यासीन मलिक
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 8:15 PM IST

केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू- कश्मीर लिबरेशन फ्रंट(JKLF)पर बड़ी कार्रवाई की है. सरकार ने इस अलगाववादी संगठन पर बैन लगा दिया है. अधिकारियों के मुताबिक JKLF पर बैन आतंकवाद विरोधी कानून के तहत हुआ है. कश्मीर का ये संगठन अलगाववादी नेता यासीन मलिक के नेतृत्व में काम करता है. बता दें कि 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से यासीन मलिक सहित कई अन्य अलगाववादी नेताओं पर सरकार कार्रवाई कर चुकी है.

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यासीन मलिक कश्मीर में एक प्रमुख अलगाववादी नेता रहा है और कई बार उसको नजरबंद किया जा चुका है. 3 अप्रैल, 1963 को श्रीनगर के मैसूमा इलाके में जन्मा यासिन मलिक कश्मीर को भारत और पाकिस्तान से अलग करने की वकालत करता है.

मलिक के मुताबिक एक युवा के रूप में, उसने  सुरक्षा बलों द्वारा सड़कों पर की गई हिंसा को देखा था. बताया जाता है कि 1980 में, सेना और टैक्सी चालकों के बीच एक विवाद को देखने के बाद, उसने विद्रोही बनने का फैसला ले लिया. उसने ताल पार्टी नामक एक संगठन बनाया.  

4 महीने के लिए हुआ गिरफ्तार

उसका संगठन शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में 1983 में वेस्ट इंडीज के साथ क्रिकेट मैच को बाधित करने के प्रयास में शामिल था. इसके अलावा श्रीनगर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सभाओं में खलल डालना और मकबूल भट की फांसी का विरोध करने का भी काम उसके संगठन ने किया. इस पूरे विवाद के बाद  मलिक को 4 महीने के लिए गिरफ्तार किया गया.

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1986 में ताल पार्टी का नाम बदलकर इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग (आईएसएल) कर दिया गया और मलिक इसका महासचिव बना. 1987 में विधानसभा चुनावों के लिए, यासीन मलिक के नेतृत्व में इस्लामिक स्टूडेंट लीग मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (MUF) में शामिल हो गया.

हालांकि इसने कोई सीट नहीं लड़ी क्योंकि वह संविधान को नहीं मानता था. लेकिन इसने श्रीनगर के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में MUF के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी ली.

पाक महिला से की शादी

यासीन मलिक के मुताबिक वह 1988 में JKLF से जुड़ा था. तब वह श्री प्रताप कॉलेज में पढ़ाई करता था. 2009 में यासीन मलिक पाकिस्तान की मुशहाल हुसैन के साथ वैवाहिक बंधन में बंधा. यासीन मलिक की एक बेटी है. मलिक की पत्नी लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से पढ़ाई कर चुकी हैं.

भारतीय जवानों की हत्या का आरोप

यासीन मलिक पर 25 जनवरी 1990 में भारतीय वायुसेना कर्मियों पर आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप है. इसमें वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित चार वायुसेना कर्मियों की मौत हो गई थी. इस घटना के वक्त यासीन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का एरिया कमांडर था.  यासीन मलिक 1999 और 2002  तक जेल में रहा. 2002 में तो उसे पोटा के तहत गिरफ्तार किया गया था.

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उसपर पाकिस्‍तानी आतंकियों के साथ संबंध रखने के आरोप लगते रहे हैं. 1990 में हिंदुओं का कत्लेआम कर उन्हें कश्मीर से बेदखल करने के आंदोलन में यासीन जैसे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

JKLF का प्रमुख बना

दिल की बीमारी से पीड़ित यासीन मलिक पिछले 35 साल से भारत विरोधी आंदोलन में सक्रिय है. यासीन मलिक 1988 में दूसरे युवाओं के साथ सशस्त्र प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान गया और वापसी पर भारत विरोधी सशस्त्र समूह जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का प्रमुख बन गया.

उसने 1994 में सशस्त्र संघर्ष का रास्ता छोड़ कर शांतिपूर्ण राजनीतिक संघर्ष का नारा दिया और लिबरेशन फ्रंट को एक राजनीतिक दल के रूप में पेश किया. लेकिन यासीन मलिक के मुताबिक भारत सरकार ने कश्मीरियों से शांतिपूर्ण प्रयासों को कभी नहीं सराहा.

मकबूल भट्ट को मानता है हीरो

कश्मीर का ये अलगाववादी नेता मकबूल भट्ट को अपना हीरो मानता है. बता दें कि मकबूल भट्ट को 1984 में फांसी पर चढ़ा दिया गया था. वह JKLF का को- फाउंडर था.

JKLF के बारे में

JKLF का गठन बर्मिंघम में 1977 में हुआ. अमानउल्लाह खां और मकबूल भट ने इसे बनाया. JKLF के मुताबिक उन्हें न पाकिस्तान में जाना और न इंडिया में. उन्हें बस आजाद कश्मीर चाहिए. भारत में JKLF का मुखिया अलगाववादी नेता यासीन मलिक है.

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