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रेल राज्य मंत्री ने लोकसभा में कराई सरकार की किरकिरी, वेंकैया नायडू को मांगनी पड़ी माफी

बुधवार को मोदी सरकार की बुरी तरह किरकिरी तब हुई जब सरकार के एक मंत्री ही लोकसभा में अपने मंत्रालय से जुड़े सवाल का जवाब देने के लिए मौजूद नहीं थे.

रीमा पाराशर/रोहित गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2016,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही संसद से गैरहाजिर रहने पर बीजेपी सांसदों को कई बार डांट लगा चुके हों लेकिन लगता है सांसदों पर इसका असर नहीं हुआ. इसी के चलते बुधवार को मोदी सरकार की बुरी तरह किरकिरी तब हुई जब सरकार के एक मंत्री ही लोकसभा में अपने मंत्रालय से जुड़े सवाल का जवाब देने के लिए मौजूद नहीं थे.

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मोदी के पीछे-पीछे सिन्हा भी निकल लिए
दिलचस्प ये कि प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े सवालों का दिन भी बुधवार ही था और खुद मोदी प्रश्नकाल के दौरान उपस्थित थे. तब तक सब कुछ ठीक था. रेल मंत्रालय से जुड़े पहले सवाल का जवाब पीएम के सामने रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने दिया भी लेकिन जैसे ही पीएम सदन से निकले, पीछे-पीछे सिन्हा भी गायब हो गए.

सरकार पर बरसा विपक्ष
मंत्री जी के मंत्रालय का अगला सवाल सातवें नंबर पर था जिसका नंबर एक घंटे के प्रश्नकाल के दौरान अमूमन कम ही आता है. ये सोचकर मंत्रीजी पहले ही चले गए. लेकिन बुधवार को प्रश्नकाल में सातवें नंबर का सवाल पूछने की नौबत आ गई. फिर क्या था विपक्ष ने मंत्रीजी के नाम पर हंगामा शुरू कर दिया. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि‍ जब संसद में मंत्री सवाल का जवाब देने के लिए नहीं हैं तो फिर आप लोग जनता के सवाल का क्या जवाब देंगे.

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वेंकैया नायडू को मांगनी पड़ी माफी
स्पीकर सुमित्रा महाजन ने हिदायत दी कि मंत्री को सदन में रहना चाहिए और भविष्य में ऐसा नहीं होना चाहिए. लेकिन जब विपक्ष भड़कता रहा तो स्पीकर ने कहा की क्या करें फांसी देनी है क्या उन्हें. सरकार पर हो रहे विपक्ष के हमले को शांत करने के लिए संसदीय कार्य मंत्री वैंकेया नायडू ने सदन से माफी मांगी और कहा कि ऐसा दोबारा नहीं होगा. अपने जूनियर मंत्री की गलती पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बाद में आकर सफाई दी लेकिन मंत्रीजी की डांट जरूर पड़ गई.

कोरम पूरा न होने की वजह से स्थगित हुई थी राज्यसभा की कार्यवाही
पिछले हफ्ते राज्यसभा की कार्यवाही कोरम पूरा न होने की वजह से स्थगित करनी पड़ी थी और लोकसभा में भी लंच के बाद रोजाना नौबत ये होती है कि कार्यवाही शुरू करने के लिए बार-बार कोरम की घंटी बजानी पड़ती है.

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