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मोदी सरकार के वो बड़े बिल जिन्हें राज्यसभा ने वापस लौटाया

नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में कम संख्या होने की बात कहते हुए विपक्षियों से सहयोग की अपील की. पीएम मोदी ने बताया कि पिछले पांच सालों में कुछ विधेयकों का समय निकल गया, क्योंकि सरकार के पास राज्यसभा में संख्या नहीं है, लेकिन हमें इस अवरोध से छुटकारा पाने की जरूरत है.

पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में की सहयोग की अपील पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में की सहयोग की अपील
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2019,
  • अपडेटेड 10:36 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए बुधवार को राज्यसभा में कांग्रेस की आलोचना तो की लेकिन इस दौरान उन्होंने संसद के इस उच्च सदन में अपनी सरकार की उस कमजोरी को भी सामने रख दिया जिसने पहले कार्यकाल में उनके फैसलों पर रोड़ा अटकाया. मोदी ने जिक्र किया कि बीते पांच सालों में कुछ विधेयकों का समय निकल गया, क्योंकि सरकार के पास राज्यसभा में संख्या नहीं है. ये कहते हुए पीएम मोदी ने आह्वान किया कि हमें इस अवरोध से छुटकारा पाने की जरूरत है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कई ऐसे बिल रहे जो राज्यसभा में पूर्ण बहुमत न होने के कारण पास नहीं हो पाए  और इनमें सबसे अहम तीन तलाक से जुड़ा विधेयक है.

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तीन तलाक बिल

2014 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बावजूद मोदी सरकार को कई मौकों पर बैकफुट पर जाना पड़ा. पीएम मोदी ने नोटबंदी और जीएसटी जैसा बड़ा फैसला रातों-रात लागू कर दिया लेकिन जब बात तीन तलाक के कानून की आई तो राज्यसभा में बहुमत न होना उनके इरादों पर पानी फेर गया. मुस्लिम महिलाओं के हक से जुड़े इस बिल पर बीजेपी को अपने सहयोगी दलों के अलावा कांग्रेस समेत किसी भी विपक्षी दल का समर्थन नहीं मिल पाया. यही वजह रही अब तक यह बिल कानून का रूप नहीं ले सका है. इसे एक बार फिर लोकसभा में पेश कर दिया गया है लेकिन राज्यसभा में इसे चुनौती मिल सकती है.

नागरिकता संशोधन विधेयक

नागरिकता (संशोधन) विधेयक को जनवरी 2019 में लोकसभा में पास कर दिया गया था, लेकिन राज्यसभा में यह पास नहीं हो सका था. इसके बाद लोकसभा भंग होने के साथ ही यह विधेयक रद्द हो गया. अब एक बार फिर मोदी सरकार इस बिल को लाने का प्रयत्न करेगी. लेकिन जिस तरह विपक्षी दल इस बिल पर सवाल उठाते रहे हैं और पूर्वोत्तर के राज्यों में इसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है, ऐसे में मोदी सरकार के सामने इस बिल को दोबारा दोनों सदनों से पास कराना चुनौतीपूर्ण होगा.

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कुल 22 बिल रहे लंबित

तीन तलाक और नागिरकता कानून के अलावा इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन बिल, ट्रेड यूनियन संशोधन बिल, कंपनी संशोधन बिल, केंद्रीय यूनिवर्सिटी संशोधन बिल और मानवाधिकार संरक्षण संशोधन बिल भी मोदी सरकार को राज्यसभा में पूर्ण बहुमत न होने का अहसास करा चुके हैं. डीएनए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल और होम्योपैथी बिल समेत कुल 22 बिल राज्यसभा में विपक्ष के विरोध की भेंट चढ़ चुके हैं.

राज्यसभा में एनडीए की मौजूदा ताकत

मोदी सरकार 2014 से ज्यादा बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में आई है लेकिन राज्यसभा में अब भी उसके पास बहुमत नहीं है. फिलहाल राज्य सभा में एनडीए गठबंधन की 100 सीटें हैं जबकि बहुमत के लिए जरूरी 123 का आंकड़ा हासिल करने के लिए अगले साल होने वाले तीन राज्यों - महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधान सभा चुनावों का उसे इंतजार करना होगा. एनडीए की 100 सीटों में से 72 सीटें बीजेपी की हैं जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के पास 73 सीटें हैं. अगले साल तक राज्यसभा की 81 सीटें खाली हो रही हैं. हालांकि, इससे पहले 5 जुलाई को 6 सीटों के लिए उपचुनाव होने जा रहे हैं, लेकिन इससे बीजेपी को बिल पास कराने जैसी मदद नहीं मिल पाएगी. 

पाइपलाइन में ये महत्वपूर्ण बिल

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पाइपलाइन में तीन तलाक बिल, जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) बिल, श्रम कानून में संशोधन, आधार संशोधन बिल, शिक्षकों की भर्ती से संबंधित बिल, मेडिकल काउंसिल संशोधन बिल, मोटर व्हीकल (संशोधन) जैसे अहम बिल शामिल हैं लेकिन राज्यसभा में सरकार की कमजोरी का असर फिर देखने को मिल सकता है.

शायद यही वजह है कि नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार के पास राज्यसभा में संख्या नहीं है, लेकिन हमें इस अवरोध से छुटकारा पाने की जरूरत है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हवाले से यह भी कहा कि बहुमत का जनादेश शासन करने के लिए है और अल्पमत का जनादेश विरोध करने के लिए है, लेकिन किसी को व्यवधान डालने के लिए जनादेश नहीं है. पीएम मोदी ने राज्यसभा में कहा है कि हमें देश चलाना है और हमें आपके सहयोग की जरूरत है.

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