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CJI को सरकार की चिट्ठी- जस्टिस जोसेफ सबसे वरिष्ठ नहीं, सही नहीं होगी नियुक्ति

सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कोलेजियम सिस्टम के आधार पर जस्टिस के. एम. जोसेफ की नियुक्ति करने को कहा है वह संभव नहीं है. सरकार ने इसके लिए कई तरह के तर्क दिए हैं.

जज नियुक्ति पर बवाल! जज नियुक्ति पर बवाल!
पॉलोमी साहा/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 26 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:36 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के. एम. जोसेफ की नियुक्ति को सरकारी की तरफ से मंजूरी ना मिलने का मामला अब बढ़ता जा रहा है. केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखी है. सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कोलेजियम सिस्टम के आधार पर जस्टिस के. एम. जोसेफ की नियुक्ति करने को कहा है वह संभव नहीं है. सरकार ने इसके लिए कई तरह के तर्क दिए हैं.

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सरकार की ओर से कहा गया कि -

# वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस के. एम. जोसेफ का नंबर 42वां है. अभी भी हाईकोर्ट के करीब 11 जज उनसे सीनियर हैं.

# कलकत्ता, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और कई हाईकोर्ट के अलावा सिक्किम, मणिपुर, मेघालय के प्रतिनिधि अभी सुप्रीम कोर्ट में नहीं है.

# जस्टिस के. एम. जोसेफ केरल से आते हैं, अभी केरल के दो हाईकोर्ट जज सुप्रीम कोर्ट में हैं.

# पिछले काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में SC/ST का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है.

# कोलेजियम सिस्टम सुप्रीम कोर्ट का ही एक सिस्टम है.

# अगर केरल के ही एक और हाईकोर्ट जज की नियुक्ति की जाती है तो यह सही नहीं होगा.

नियुक्तियों में मनमानी का सिलसिला!

बहरहाल, जहां तक वरिष्ठता का सवाल है, उसमें भी ये कोई निश्चित आधार नहीं है और न ही क्षेत्रीय या मजहबी संतुलन साधने के आधार का कोई लिखित नियम है.

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ऐसा कई बार हुआ है कि केंद्र में काबिज सरकारें अपनी मर्ज़ी से इस कसौटी पर अपना खेल कर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हित साधती रहती हैं. कई बार सीनियरिटी को ताख पर रख कर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस और उच्च न्यायालयों से पदोन्नत कर सुप्रीम कोर्ट तक जजों को नियुक्त किया गया है. इसी आपाधापी और अपारदर्शिता की वजह से कई जजों ने इस्तीफा भी दिया.

कई जज उठा चुके हैं सवाल

इस बीच, जस्टिस चेलमेश्वर, फिर कुछ हफ्तों बाद जस्टिस कुरियन जोसफ और पिछले हफ्ते जस्टिस मदन बी लोकुर ने भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट की गरिमा बचाने और सरकार की मनमानी रोकने के उपाय करने पर ज़ोर दिया. इन उपायों की तलाश के लिए फुलकोर्ट यानी सभी जजों की मीटिंग बुलाने की मांग की.

कांग्रेस ने भी उठाए सवाल

कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के.एम. जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं दिए जाने पर भी मोदी सरकार पर हमला बोला.

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम लगातार कह रहे हैं कि न्यायपालिका खतरे में है. कानून कहता है कि सुप्रीम कोर्ट का कोलेजियम कहता है वही होगा, जबकि सरकार चाहती है कि अगर उनके मन मुताबिक नहीं हुआ तो कोलेजियम की सिफारिशों को नजरअंदाज करेगी और उसे मंजूरी नहीं देगी.

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कपिल सिब्बल ने कहा कि बीजेपी कहती है कि देश बदल रहा है, लेकिन हम कहते हैं कि देश बदल चुका है. आज सरकार न्यायपालिका के साथ जो बर्ताव कर रही है, वह पूरा देश जानता है. सरकार की मंशा साफ है कि वह जस्टिस जोसेफ को जज नहीं बनने देंगे. सिब्बल ने कहा कि सरकार कोलेजियम के हिसाब से नहीं चलना चाहती है.

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