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620 सफाईकर्मी, जो सफाई करने सीवर में उतरे, मगर जिंदा नहीं लौटे

देश में सीवर टैंकों की सफाई करने के दौरान 30 जून 2019 तक 620 सफाईकर्मी जान गंवा चुके हैं. यह आंकड़े खुद मोदी सरकार ने लोकसभा में उठे एक सवाल के जवाब में जारी किए हैं.

सरकार ने बताया कि 30 जून 2019 तक सीवर की सफाई के दौरान 620 कर्मी मरे.(फोटो-ANI) सरकार ने बताया कि 30 जून 2019 तक सीवर की सफाई के दौरान 620 कर्मी मरे.(फोटो-ANI)
नवनीत मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

सीवर की सफाई करने के लिए टैंक में उतरने वाले सफाईकर्मी लगातार जान गंवा रहे हैं. वजह है कि टैंक के अंदर जहरीली गैसों से बचाव के लिए सफाईकर्मियों के पास जरूरी उपकरण भी नहीं होते. बिना सुरक्षा उपायों के सीवर में उतरने पर मौत के कुएं में उतरने जैसा हाल होता है. केंद्र सरकार के पास मौजूद आंकड़े बताते हैं कि अब तक 620 सफाईकर्मियों की मौत हो चुकी है. जिसमें से 88 मामलों की सूचना सरकार को अखबारों के जरिए या फिर अन्य व्यक्तियों के स्तर से हुई. लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में सरकार ने सीवर टैंकों की सफाई के दौरान हुई मौतों की जानकारी दी है.

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एआईएमआईएम (AIMIM) सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से सीवर और सेप्टिक टैंकों में सफाई के दौरान मरने वाले कर्मियों का आंकड़ा पूछा था. जिसका सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने लिखित में जवाब दिया. उन्होंने बताया कि राज्यों से सीवरों, सैप्टिक टैंकों की सफाई करते समय हुई मौतों की रिपोर्ट मिलती है. 27 मार्च 2014 को दिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऐसी घटनाओं के सामने आने पर पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाता है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में दिए सुनवाई के दौरान सफाई के दौरान मौत होने पर कर्मचारियों के परिवार वालों को दस लाख रुपये देने का आदेश दिया था.

मंत्री अठावले ने बताया कि हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के लिए एमएस अधिनियम 2013 के तहत सतर्कता समितियों का गठन किया गया है. इसके अलावा इसके पालन के लिए अफसरों के साथ नियमित बैठकें भी होती हैं. फिलहाल, एमएस अधिनियम 2013 में संशोधन करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.

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कब कहां हुई मौतें

देश के कई राज्यों में सीवर की सफाई के दौरान सफाईकर्मियों की मौत की घटनाएं आ चुकी हैं. दिल्ली के लाजपत नगर, घिटोरनी, आनंद विहार, लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल, मुंडका, जहांगीरपुरी, बुराड़ी के नजदीक झड़ोदा गांव, राजोरी गार्डन और रोहिणी के प्रेम नगर क्षेत्र में 2017 से 2019 के बीच 18 मौतें हुईं. वहीं हरियाणा में 2017 के 2019 के बीच गुरुग्राम, पलवल, सीवर ट्रीटमेंट प्लॉंट, सनबीम ऑटो प्रा.लि. में आठ सफाईकर्मियों की मौत हुई.

तमिलनाडु, गुजरात में सर्वाधिक मौत

मंत्री ने बताया कि 30 जून 2019 तक देश के 15 राज्यों में मौत के 620 मामले सामने आए. जिसमें से 445 को दस लाख रुपये का मुआवजा दिया गया, वहीं 58 परिवारों को आंशिक मुआवजा दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक सर्वाधिक 144 मौतें तमिलनाडु  में हुईं. वहीं गुजरात में 131 मामले सामने ए. कर्नाटक में 75, दिल्ली में 28, हरियाणा मे 51, उत्तर प्रदेश में 71 मौतें हुईं. अब तक 117 परिवारों का मुआवजा लंबित है. सरकार ने यह भी बताया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान अखबारों या फिर व्यक्तियों और संगठनों के जरिए 88 सफाईकर्मियों की मौत की सूचना मिली. 2014 में मगर कई रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र मिला कि मरने वाले सफाईकर्मियों के परिजनों को मुआवज़ा नहीं मिलता है.

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